अधिवक्ता ने वायरल वीडियो की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए. उन्होंने दलील दी कि उस वीडियो में यह स्पष्ट नहीं है कि किस व्यक्ति की गोली किस व्यक्ति को लगी. ऐसे में केवल वीडियो को देखकर किसी नतीजे पर पहुँचना उचित नहीं होगा.
- अधिवक्ता बोले- वीडियो में यह स्पष्ट नहीं कि किसकी गोली किसको लगी
- मनोज यादव समेत तीनों आरोपियों ने सुबह 8:45 बजे न्यायालय में किया आत्मसमर्पण
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : राजपुर थाना क्षेत्र के अहियापुर गांव में हुए बहुचर्चित नरसंहार कांड में अब डिजिटल साक्ष्य की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं. सोमवार को मुख्य आरोपी मनोज यादव, उनके भाई संजय यादव उर्फ संतोष यादव और धनसोई थाना क्षेत्र के बटेश्वर यादव ने सुबह 8:45 बजे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण किया. तीनों आरोपी अहले सुबह ही कोर्ट परिसर में पहुंच गए थे, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें अपनी अभिरक्षा में ले लिया.
आत्मसमर्पण के बाद कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने वायरल वीडियो की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए. उन्होंने दलील दी कि उस वीडियो में यह स्पष्ट नहीं है कि किस व्यक्ति की गोली किस व्यक्ति को लगी. ऐसे में केवल वीडियो को देखकर किसी नतीजे पर पहुँचना उचित नहीं होगा.
वकील ने आगे कहा कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दौर है और ऐसे समय में किसी भी डिजिटल साक्ष्य को अंतिम मान लेने से पहले उसकी तकनीकी जांच बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि वायरल क्लिप को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं, वह केवल सतही दृश्य हैं, जबकि असली सच्चाई तकनीकी परीक्षण के बाद ही सामने आ सकेगी.
फिलहाल तीनों आरोपियों को जेल भेजे जाने की प्रक्रिया जारी है. उधर बचाव पक्ष की इस दलील के बाद अब यह मामला अदालत में तकनीकी दृष्टिकोण से भी जांच का विषय बन गया है, जिससे केस की दिशा और गति दोनों प्रभावित हो सकती हैं.
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