कहा कि आज भी बहुत से लोग अंधविश्वास में झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जिससे समय बर्बाद होता है और जान जाना तय हो जाता है. ऐसे मामलों में सबसे जरूरी है समय पर उचित चिकित्सा मिलना.
- अंधविश्वास बना मौत का कारण, समय पर मिलती चिकित्सा तो बच सकती थी जान
- दीवार में छिपे कोबरा को रेस्क्यूर ने पकड़ा, लोगों को दी सतर्कता बरतने की सलाह
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के साहोपरा गांव में रविवार तड़के एक 17 वर्षीय किशोर की सांप के डसने से मौत हो गई. किशोर सुबह पूजा की तैयारी में जुटा था और मिट्टी की अलमारी में रखी पूजा सामग्री निकालने के लिए जैसे ही हाथ डाला, वहीं छिपे कोबरा ने उसकी अंगुली पर काट लिया.
काटने के बाद किशोर के हाथ से खून बहने लगा, लेकिन परिजन उसे अस्पताल न ले जाकर पहले अमवा स्थित सती माई स्थान पर झाड़-फूंक के लिए ले गए. परिजन बताते हैं कि यह फैसला किशोर की सहमति से लिया गया था. झाड़-फूंक के दौरान उसकी तबीयत और बिगड़ती गई और जब हालत गंभीर हो गई तब उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. चिकित्सकों के मुताबिक युवक की मौत अस्पताल लाए जाने से लगभग आधे घंटे पहले ही हो चुकी थी.
घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे स्नेक रेस्क्यूर हरिओम कुमार ने बताया कि कोबरा दीवार के अंदर ही छिपकर बैठा था. उन्होंने सतर्कता से उसे पकड़ा और बाद में सुरक्षित जंगल में ले जाकर छोड़ दिया. हरिओम ने कहा कि यह कोबरा बहुत छोटा था लेकिन अत्यंत विषैला था.
हरिओम ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा, “कोबरा के काटने पर हर मिनट कीमती होता है. सबसे पहले पीड़ित को अस्पताल ले जाना चाहिए. सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में एंटी-वेनम इंजेक्शन उपलब्ध हैं, जिससे जान बचाई जा सकती है.”
उन्होंने यह भी कहा कि आज भी बहुत से लोग अंधविश्वास में झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जिससे समय बर्बाद होता है और जान जाना तय हो जाता है. ऐसे मामलों में सबसे जरूरी है समय पर उचित चिकित्सा मिलना.
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सांप काटने जैसी आपात स्थिति में झाड़-फूंक नहीं, बल्कि डॉक्टर ही आखिरी सहारा होते हैं. लोगों से अपील की जा रही है कि ऐसी घटनाओं से सीख लें और समय रहते अस्पताल पहुंच कर जान बचाएं.
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