द्रोपदी विवाह का रहस्य : इंद्र के पंचरूपों से हुआ था विवाह, नहीं थे पांच अलग-अलग पति : आचार्च पौराणिक

धर्मराज में धर्म, पवन देव में बल, अश्विनी कुमारों में सौंदर्य और रूप प्रवेश कर गया. इन्हीं से युधिष्ठिर, भीम, नकुल-सहदेव और अर्जुन का जन्म हुआ. इन पांडवों में इंद्र के गुणों का ही अलग-अलग रूप था — अर्थात ये पंचरूपों में एक ही शक्ति का अवतरण थे.









                                           




  • सर्वजन कल्याण सेवा समिति के 17वें धर्म आयोजन की दूसरी दिवस की कथा में हुआ गूढ़ रहस्य का खुलासा
  • महात्मा जैमिनि को पक्षियों ने बताया – द्रोपदी का विवाह इंद्र के पांच दिव्य गुणों से हुआ, न कि पांच पुरुषों से

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सिद्धाश्रम धाम बक्सर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 17वें धर्म आयोजन के द्वितीय दिवस की कथा में श्रोताओं को द्रोपदी विवाह के गूढ़ रहस्य से अवगत कराया गया. श्री मार्कंडेय पुराण कथा के अंतर्गत महात्मा जैमिनि और पक्षियों के संवाद के माध्यम से यह विशेष आध्यात्मिक विमर्श प्रस्तुत हुआ कि द्रोपदी का विवाह वस्तुतः पांच पुरुषों से नहीं, बल्कि इंद्र के पंचरूपों से हुआ था.

कथावाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री (पौराणिक जी) ने बताया कि ब्रह्मलोक से पाताल तक समस्त सृष्टि मृत्यु लोक में ही आती है और यहां प्रत्येक जीव को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है. कथा में उल्लेख किया गया कि इंद्र द्वारा किए गए कर्मों — चाहे वह त्रिशिरा का वध हो, वृत्रासुर पर कपट से विजय या अहिल्या प्रसंग — सभी प्रारंभ में पाप समान प्रतीत होते हैं, लेकिन इन सबके मूल में धर्म की रक्षा और त्रिलोक का कल्याण समाहित था.

इंद्र के इन कार्यों से उनका धर्म, बल और सौंदर्य उनसे विलग होकर अन्य देवों में प्रवेश कर गया. धर्मराज में धर्म, पवन देव में बल, अश्विनी कुमारों में सौंदर्य और रूप प्रवेश कर गया. इन्हीं से युधिष्ठिर, भीम, नकुल-सहदेव और अर्जुन का जन्म हुआ. इन पांडवों में इंद्र के गुणों का ही अलग-अलग रूप था — अर्थात ये पंचरूपों में एक ही शक्ति का अवतरण थे.

वहीं, इंद्र की पत्नी सचि देवी ही अग्निकुंड से प्रकट होकर द्रोपदी बनीं. उनका अवतरण धर्म, शौर्य और अधर्म के विनाश के लिए हुआ. जब उन्होंने देखा कि उनके पति के गुण पांच रूपों में धरती पर जन्म ले चुके हैं, तो उन्होंने पंचकन्या रूप में उन सभी से विवाह किया, ताकि अपने पति के ऊपर लगे कलंकों को मिटा सकें और उन्हें पुनः पूर्ववत धर्म, बल, पराक्रम और सौंदर्य से युक्त कर सकें.

कथा के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि द्रोपदी का विवाह पांच पुरुषों से नहीं, बल्कि इंद्र के पांच दिव्य गुणों से हुआ था. इस रहस्य को पक्षियों ने महात्मा जैमिनि को बताया और कहा कि इसे सामान्य दृष्टि से देखना भूल होगी. यह विवाह एक स्त्री का अपने एक ही पति के पांच गुणों से हुआ पवित्र संबंध था.

सर्वजन कल्याण सेवा समिति के तत्वावधान में हो रही यह कथा न केवल श्रोताओं को आध्यात्मिक ज्ञान दे रही है, बल्कि उन्हें जीवन के गूढ़ प्रश्नों का उत्तर भी दे रही है. आयोजन में नगरवासियों की भारी उपस्थिति देखी जा रही है.










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