सिविल लाइन मुहल्ले में हुए इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे शहर को दहला दिया था. अब कोर्ट ने आरोपी मनोज साह को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मंगलवार को प्रधान जिला अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय सुदेश कुमार श्रीवास्तव ने यह फैसला सुनाया.
– पूजा करने जा रही मां को रॉड से पीट उतारा मौत के घाट, भतीजे को छत से फेंका
– इंजीनियर बेटे ने ही दो जानें लीं, कोर्ट के फैसले के बाद परिजनों ने जताया न्याय पर भरोसा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : इंजीनियर बेटे ने पहले मां को रॉड से पीट-पीटकर मार डाला, फिर मासूम भतीजे को छत से नीचे फेंक दिया. बक्सर के सिविल लाइन मुहल्ले में हुए इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे शहर को दहला दिया था. अब कोर्ट ने आरोपी मनोज साह को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मंगलवार को प्रधान जिला अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय सुदेश कुमार श्रीवास्तव ने यह फैसला सुनाया.
सरकारी वकील सुरेश सिंह ने बताया कि बक्सर शहर के सिविल लाइन निवासी बबन साह का बेटा मनोज साह 3 जुलाई 2023 को अपनी मां जानकी देवी (62 वर्ष) पर उस समय टूट पड़ा, जब वह छत पर पूजा करने जा रही थीं. मां को रॉड से बेरहमी से पीटा गया. इस दौरान दादी के साथ छत पर मौजूद भतीजे ऋषभ (पुत्र राजू साह) को भी आरोपी ने छत से नीचे फेंक दिया. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.
घटना के बाद आरोपी मनोज छत पर ही बैठा रहा. पुलिस ने मौके से ही उसे गिरफ्तार कर लिया. मृतक राजू कुमार ने टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. पुलिस ने साक्ष्य जुटाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
इंजीनियर से हत्यारा बना मनोज
जानकारी के अनुसार मनोज साह पहले केरल की एक निजी कंपनी में इंजीनियर के पद पर काम करता था. 2015 में उसकी शादी ज्योति नाम की युवती से हुई थी और एक बेटा भी हुआ. लेकिन 2019 में पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई. इसके बाद मनोज ने नौकरी छोड़ दी और बक्सर आकर रहने लगा. बेरोजगारी और पैसों की तंगी ने उसे अंदर से तोड़ दिया.
घर में आए दिन झगड़े और मारपीट होने लगे. इसी कड़ी में 3 जुलाई को उसने मां और भतीजे की जान ले ली. कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर उसे दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा दी है.
परिजनों ने जताया संतोष
कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली है. उनका कहना है कि उन्हें अब न्याय मिला है. स्पीडी ट्रायल के तहत आए इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कानून से बड़ा कोई नहीं.
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