कहा कि वही ज्ञान सार्थक है जो व्यक्ति को अहंकार से मुक्त कर भगवान से जोड़ दे. केवल पढ़ना या समझना पर्याप्त नहीं है, जब तक उसे आचरण में न उतारा जाए. वैराग्य का तात्पर्य भी संसार से भागने का नहीं, बल्कि मोह, ममता और वासना से ऊपर उठने का है.
- शिवपुरी काली मंदिर में शुरू हुआ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा आयोजन
- धुंधकारी प्रसंग सुनाकर आचार्य ने बताई भागवत की महिमा
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : शिवपुरी स्थित काली मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ श्रद्धा और आस्था के साथ हुआ. कथा के पहले दिन मामा जी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा ने श्रीमद्भागवत महात्म्य पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि इस कथा के श्रवण से भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही यह कथा पापियों के पापों का भी प्राश्चित कर देती है.
आचार्य ओझा ने सनकादिक ऋषियों और नारद जी के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति पूरे जीवन में पाप, अत्याचार, दुराचार और भ्रष्टाचार जैसे कार्यों में ही लिप्त रहा हो और कभी कथा न सुन पाया हो, तो मरने के बाद प्रेत योनि में भी यदि वह कथा का श्रवण कर ले तो परम पावन हो जाता है.
उन्होंने कहा कि वही ज्ञान सार्थक है जो व्यक्ति को अहंकार से मुक्त कर भगवान से जोड़ दे. केवल पढ़ना या समझना पर्याप्त नहीं है, जब तक उसे आचरण में न उतारा जाए. वैराग्य का तात्पर्य भी संसार से भागने का नहीं, बल्कि मोह, ममता और वासना से ऊपर उठने का है.
धुंधकारी की कथा का उल्लेख करते हुए आचार्य ने कहा कि वह एक दुष्टात्मा था जिसने जीवन में कोई पुण्य कार्य नहीं किया था. लेकिन जब उसने सात दिन तक भागवत कथा श्रवण किया, तो वह दिव्य पुरुष के रूप में उत्पन्न हुआ. स्वयं धुंधकारी ने कहा कि "धन्य है वह भागवत कथा जिसने मुझे जैसे प्रेत को भी परम पुण्यात्मा बना दिया."
आचार्य ने कहा कि जैसे मंदाकिनी नदी में स्नान से पाप धुल जाते हैं, वैसे ही भागवत कथा का श्रवण करने से जीवन के समस्त पाप भस्म हो जाते हैं. उन्होंने श्रद्धालुओं से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की.
कथा के पहले ही दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और वातावरण भक्ति, संकीर्तन और शांति से सराबोर हो गया.
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