गंगा में जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ ठोरा नदी का भी दबाव बढ़ता है, जिससे इटाढ़ी और सदर प्रखंड के कुछ इलाके भी प्रभावित होते हैं. बक्सर का ऐतिहासिक किला भी हर वर्ष कटाव का शिकार होता है.
- खतरे के निशान से सिर्फ 47 सेंटीमीटर दूर है जलस्तर
- रामरेखा घाट की सीढ़ियां डूबीं, विवाह मंडपों में घुसा बाढ़ का पानी
- दियारा क्षेत्र के लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में, प्रशासन अलर्ट मोड में
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : दो दिन की स्थिरता के बाद शनिवार से गंगा नदी ने रफ्तार पकड़ ली है. केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 59.71 मीटर दर्ज किया गया था जो रविवार सुबह छह बजे तक बढ़कर 59.85 मीटर पर पहुंच गया. यह खतरे के निशान 60.32 मीटर से अब सिर्फ 47 सेंटीमीटर नीचे रह गया है. गंगा के रौद्र रूप को देखकर जिलेवासियों में दहशत का माहौल है. केंद्रीय जल आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में कोई बारिश के बाद केन और बेतवा नदी के काजल अस्तर काफी बढ़ गया गंगा की सहायक नदियों ने गंगा पर दबाव डाला और धीरे-धीरे पानी तेजी से बढ़ने लगा शनिवार की सुबह तो 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी गंगा का जलस्तर बढ़ा लेकिन अब यह रफ्तार 1 सेंटीमीटर प्रति घंटा है. अभी चंबल नदी से भी पानी गंगा में आएगा जो जलस्तर को और भी बढ़ा सकता है हालांकि तब तक काफी पानी आगे की ओर निकल भी जाएगा.
रामरेखा घाट डूबा, विवाह मंडप में भरा पानी
गंगा नदी का पानी अब निचले इलाकों में फैलने लगा है. रामरेखा घाट की सभी सीढ़ियां डूब गई हैं और घाट के समीप नया और पुराना विवाह मंडप भी बाढ़ की चपेट में आ गया है. वहीं सारिमपुर से लेकर रामरेखा घाट तक तटीय इलाकों में पानी फैलने लगा है. जानकारों का कहना है कि यदि यही गति रही तो जल्द ही दियारा क्षेत्र पूरी तरह पानी में समा जाएगा.
गति घटी, पर खतरा बरकरार
शनिवार सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक जलस्तर 3 सेमी की रफ्तार से बढ़ा. इसके बाद रफ्तार घटकर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे रह गई. हालांकि, फिलहाल एक सेमी प्रति घंटे की दर से जलस्तर में इजाफा हो रहा है.
लोगों में बेचैनी, प्रशासन मुस्तैद
दियारा क्षेत्र में रह रहे लोग, जो पहले भी बाढ़ की विभीषिका झेल चुके हैं, अब सतर्क हो गए हैं. लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में घर छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. बक्सर, चौसा, सिमरी, चक्की और ब्रह्मपुर प्रखंड के निचले इलाकों में हर साल बाढ़ से तबाही होती है. गंगा में जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ ठोरा नदी का भी दबाव बढ़ता है, जिससे इटाढ़ी और सदर प्रखंड के कुछ इलाके भी प्रभावित होते हैं. बक्सर का ऐतिहासिक किला भी हर वर्ष कटाव का शिकार होता है.
जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ से निपटने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. प्रभावित क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है और नावों, राहत सामग्री तथा आश्रय स्थलों की व्यवस्था की जा रही है. प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने की अपील की है.
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