छाते के साथ 'माई' ने दिया सुरक्षा और सम्मान का संदेश, महिलाओं ने कहा- अब हम अकेली नहीं

कहा कि “माई का उद्देश्य सिर्फ संगठन विस्तार नहीं, बल्कि हर महिला को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है. जब एक महिला आत्मनिर्भर बनती है, तो उसके साथ पूरा समाज आगे बढ़ता है.”









                                           




  • बक्सर और सिमरी में महिला सदस्यों के बीच 'माई' संगठन ने किया छाता वितरण
  • सुमन दुबे और प्रियंका शर्मा ने महिला सशक्तिकरण को बताया 'माई' का मुख्य उद्देश्य

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : महिला अधिकार इकाई 'माई' द्वारा गुरुवार को बक्सर एवं सिमरी प्रखंड में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर संगठन की नई महिला सदस्यों का स्वागत करते हुए उनके बीच छाता वितरण किया गया. यह कार्यक्रम माई की शाहाबाद प्रमुख सुमन दुबे की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, जबकि संचालन सिमरी प्रखंड अध्यक्ष सरिता देवी ने किया.

अपने संबोधन में सुमन दुबे ने कहा कि “माई का उद्देश्य सिर्फ संगठन विस्तार नहीं, बल्कि हर महिला को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है. जब एक महिला आत्मनिर्भर बनती है, तो उसके साथ पूरा समाज आगे बढ़ता है.” उन्होंने छाते को माई की सुरक्षा का प्रतीक बताया और कहा कि यह छाता वर्षा-धूप से ही नहीं, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने का साहस देने का प्रतीक है.

कार्यक्रम के दौरान 'माई' की राष्ट्रीय संयोजिका सह कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रियंका शर्मा का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया. उन्होंने लिखा, “महिला अधिकार इकाई 'माई' कई वर्षों से बक्सर जिले में महिलाओं के हक, आत्मनिर्भरता, शिक्षा, सुरक्षा और नेतृत्व विकास को लेकर लगातार काम कर रही है. हमारा सपना है कि हर महिला आत्मसम्मान के साथ समाज में अपनी स्वतंत्र पहचान बना सके.”

कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं ने संगठन से जुड़कर खुद को गौरवान्वित महसूस किया. उन्हें माई की भावी योजनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और महिला सशक्तिकरण अभियानों की भी जानकारी दी गई. महिलाओं ने आश्वस्त होकर कहा कि 'माई' उनके लिए एक नई शुरुआत है.

इस कार्यक्रम में सीमा देवी, पूजा देवी, पुष्पा देवी, रीता देवी, रेनू देवी, फूलवंती देवी, विमला देवी, रीमा देवी, शुकवारिया देवी, सोना देवी, प्रभावती समेत दर्जनों महिलाएं शामिल रहीं. स्थानीय स्तर पर यह कार्यक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है और महिला अधिकारों को लेकर एक नई ऊर्जा की लहर देखी जा रही है.










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