सर्वेयर ने निरीक्षण कर मरम्मत का निर्देश देते हुए दावा पत्र के साथ दस्तावेज़ मांगे. हालांकि, ड्राइवर का मूल लाइसेंस जल गया था, जिसके कारण उसकी छायाप्रति प्रस्तुत की गई. कंपनी ने इसी आधार पर क्लेम खारिज कर दिया.
- ड्राइवर का लाइसेंस जलने पर खारिज किया था बीमा दावा, आयोग ने कंपनी को ठहराया दोषी
- 60 दिनों में राशि नहीं दी तो देना होगा ब्याज समेत पूरा मुआवजा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बक्सर ने एक अहम फैसले में इंश्योरेंस कंपनी एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेंस को ट्रैक्टर क्षति मामले में परिवादी को मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह आदेश आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह और सदस्य राजीव सिंह की उपस्थिति में पारित किया गया.
यह मामला ग्राम काजीपुर, थाना सिमरी निवासी शिवजी सिंह द्वारा 2018 में दायर किया गया था. उन्होंने अपने ट्रैक्टर मेसी फर्ग्युसन के इंश्योरेंस के तहत 4.41 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी. मामला उस समय उत्पन्न हुआ जब 17 अप्रैल 2016 को गेहूं लादे हुए ट्रैक्टर में चक्की ब्लॉक के पास अचानक आग लग गई, जिससे ट्रैक्टर, ट्रॉली और गेहूं की फसल जलकर राख हो गई..ड्राइवर राजेंद्र चौधरी के साथ लौटते समय हुए इस हादसे में कोई जानमाल की क्षति नहीं हुई, लेकिन पूरी गाड़ी जल गई.
आवेदक ने चक्की ओपी में सनहा दर्ज कराई और इंश्योरेंस कंपनी को सूचित किया. सर्वेयर ने निरीक्षण कर मरम्मत का निर्देश देते हुए दावा पत्र के साथ दस्तावेज़ मांगे. हालांकि, ड्राइवर का मूल लाइसेंस जल गया था, जिसके कारण उसकी छायाप्रति प्रस्तुत की गई. कंपनी ने इसी आधार पर क्लेम खारिज कर दिया.
शिवजी सिंह ने 17 अगस्त 2016 को आयोग में परिवाद पत्र दायर किया, जिसमें उन्होंने ट्रैक्टर मरम्मत का बिल 3 लाख 31 हज़ार 920 रुपये, अन्य खर्च 10 हज़ार रुपये और मानसिक क्षति हेतु एक लाख रुपये की मांग की थी. सुनवाई के बाद आयोग ने विपक्षी संख्या-1 यानी इंश्योरेंस कंपनी को जिम्मेदार मानते हुए आदेश दिया कि वह परिवादी को 2 लाख 12 हज़ार 747 रुपये की राशि 17.08.2016 से 6% वार्षिक ब्याज दर के साथ 60 दिनों के भीतर अदा करे. इसके अतिरिक्त 25 हज़ार रुपये मानसिक क्षति और 10 हज़ार रुपये वाद खर्च के रूप में देने होंगे. यदि तय समय में राशि नहीं दी जाती है, तो आदेश की तिथि से देय ब्याज के साथ वास्तविक भुगतान तक की पूरी राशि देनी होगी.
इस निर्णय से उन उपभोक्ताओं को भी राहत मिलने की उम्मीद है, जो बीमा दावों में अनावश्यक बाधाओं का सामना करते.
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