धारा-302 भारतीय दंड संहिता के तहत पांच लोगों को दोषी माना गया जिनमें यशदेव सिंह, यशवंत सिंह, उमाशंकर सिंह, विशंभर सिंह, वशिष्ठ सिंह को उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया. जुर्माना नहीं देने पर छह माह का साधारण कारावास भुगतना होगा. दोषियों को धारा-428 दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का लाभ मिलेगा.
- धारा-302 में उम्रकैद, आर्म्स एक्ट में चार साल की कैद
- मुआवजे के लिए मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा गया
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय, बक्सर की अदालत ने अधिवक्ता चितरंजन सिंह की हत्या के मामले में यशवंत यादव समेत अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि यह मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए उदार दृष्टिकोण अपनाया गया.
घटना 21 अगस्त 2019 की है, जब अधिवक्ता चितरंजन सिंह अपना काम निपटाकर घर सदर प्रखंड के जगदीशपुर लौट रहे थे. न्यायालय के पिछले दरवाजे के पास ही उनकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मृतक के भाई के बयान के आधार पर बसपा नेता रहे स्वर्गीय खूंटी यादव के पुत्र यशवंत सिंह के साथ-साथ कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया था. धारा-302 भारतीय दंड संहिता के तहत पांच लोगों को दोषी माना गया जिनमें यशदेव सिंह, यशवंत सिंह, उमाशंकर सिंह, विशंभर सिंह, वशिष्ठ सिंह को उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया. जुर्माना नहीं देने पर छह माह का साधारण कारावास भुगतना होगा. दोषियों को धारा-428 दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का लाभ मिलेगा.
इसके अलावा, धारा-147 में एक वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माना, धारा-148 में दो वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माना तथा धारा-27 आर्म्स एक्ट में चार वर्ष का सश्रम कारावास और पचास हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
मृतक के भाई जगमोहन सिंह और अजय कुमार को पीड़ित मानते हुए अदालत ने मुआवजा देने के लिए मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा है. आदेश की प्रति सभी दोषियों को मुफ्त दी जाएगी और अभिलेख रिकॉर्ड रूम में जमा किए जाएंगे.
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