बताया कि छठ पूजा स्वच्छ जल में ही संपन्न होती है, चाहे वह गंगा तट हो, नदी हो, तालाब हो या पोखर. उन्होंने कहा कि वर्तमान में नदियों और तालाबों में बढ़ता प्रदूषण जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया है, और यही समय है जब छठ पूजा हमें जल को पवित्र और स्वच्छ रखने की प्रेरणा देती है.
- तुलसी आश्रम रघुनाथपुर में तालाब की साफ-सफाई कर लिया गया संकल्प
- सूर्य पूजा समिति और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बढ़ाया जल संरक्षण का संदेश
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : छठ पूजा की पूर्व संध्या पर सूर्य पूजा समिति तुलसी स्थान एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, दक्षिण बिहार प्रांत के कार्यकर्ताओं ने तुलसी आश्रम रघुनाथपुर स्थित तालाब की साफ-सफाई कर जल स्रोतों के संरक्षण का संकल्प लिया. इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, दक्षिण बिहार के जनसंवाद सह प्रमुख शैलेश ओझा ने कहा कि छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि मानव और प्रकृति के बीच गहरे संबंध का प्रतीक है. उन्होंने जल स्रोतों की साफ-सफाई और जल संरक्षण पर विशेष बल दिया.
शैलेश ओझा ने बताया कि छठ पूजा स्वच्छ जल में ही संपन्न होती है, चाहे वह गंगा तट हो, नदी हो, तालाब हो या पोखर. उन्होंने कहा कि वर्तमान में नदियों और तालाबों में बढ़ता प्रदूषण जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया है, और यही समय है जब छठ पूजा हमें जल को पवित्र और स्वच्छ रखने की प्रेरणा देती है.
तुलसी आश्रम स्थित तालाब छठ पूजा के लिए ग्रामीणों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां हर साल हजारों लोग छठ अर्घ्य देने आते हैं. बावजूद इसके तालाब की बदहाली और प्रशासनिक उदासीनता से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कच्चे घाट, कटाव और फिसलन की वजह से व्रतियों के लिए पूजा करना मुश्किल हो जाता है.
ग्रामीणों के अनुसार, कभी गोस्वामी तुलसीदास जी ने यहां प्रवास किया था और यहीं तालाब के किनारे कुटिया में उन्होंने ‘उत्तराकांड’ की रचना की थी. इसके बावजूद इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 2021-22 में छह लाख चौवन हजार रुपये की लागत से तालाब का सौंदर्यीकरण और पेवर ब्लॉक का कार्य हुआ. तालाब के उत्तरी भाग में ग्राम पंचायत विकास निधि से पक्के घाट का निर्माण कराया गया, लेकिन अधिकांश हिस्से में अभी भी कच्चा घाट है.
रघुनाथपुर के तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय श्रीराम ओझा के प्रयासों से पहली बार तुलसी पथ का पक्कीकरण हुआ था, जिसका 1.2 किलोमीटर हिस्सा पथ निर्माण विभाग, बिहार सरकार द्वारा अनुरक्षित किया जाता है. इसके बाद का हिस्सा जर्जर और उपेक्षित है. सूर्य पूजा समिति एवं स्थानीय युवाओं ने पिछले कई वर्षों से पूजा के दौरान मिट्टी डालकर गड्ढे भरने और पुलिया पर बांस की अस्थाई रेलिंग लगाकर व्रतियों की सुरक्षा सुनिश्चित की है.
इस अवसर पर शैलेश ओझा के साथ सनोज कुमार, विशाल सिंह, आनंद शर्मा, अनिरुद्ध कुमार, ओमजी, रविन्द्र कुमार और अन्य स्थानीय सदस्य मौजूद रहे, जिन्होंने जल संरक्षण और तालाब की सफाई में सक्रिय योगदान दिया. उन्होंने कहा कि छठ महापर्व केवल श्रद्धा का पर्व नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है.







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