कर्मचारियों ने 16 और 17 जनवरी 2026 को न्यायिक कार्य करते हुए राज्यव्यापी मौन व्रत कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है. यह कार्यक्रम अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों द्वारा की गई राज्यव्यापी हड़ताल की पहली बरसी के अवसर पर होगा.
- 16–17 जनवरी 2026 को न्यायिक कार्य के साथ राज्यव्यापी मौन व्रत का ऐलान
- वेतन संशोधन और पदोन्नति समेत कई मांगें एक दशक से लंबित
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बिहार राज्य के सिविल कोर्ट कर्मचारियों ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों के समाधान को लेकर आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. कर्मचारियों ने 16 और 17 जनवरी 2026 को न्यायिक कार्य करते हुए राज्यव्यापी मौन व्रत कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है. यह कार्यक्रम अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों द्वारा की गई राज्यव्यापी हड़ताल की पहली बरसी के अवसर पर होगा.
यह निर्णय गुरुवार को पटना में आयोजित बिहार राज्य सिविल कोर्ट कर्मचारी संघ की बैठक में लिया गया. बैठक में कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न सेवा संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई. इसमें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के गठन, वेतनमान में संशोधन, पदोन्नति और अन्य लंबित मांगों को प्रमुखता से रखा गया.
संघ की ओर से यह भी तय किया गया कि मांगों के समाधान के लिए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शीघ्र कार्रवाई हेतु ज्ञापन सौंपा जाएगा. संघ का कहना है कि वेतन पुनरीक्षण और पदोन्नति से जुड़ी मांगें लगभग एक दशक से लंबित हैं, जिसके कारण राज्यभर के सिविल कोर्ट कर्मचारियों में गहरा असंतोष है.
संघ अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने बताया कि प्रमुख मांगों में संशोधित वेतनमान, समयबद्ध पदोन्नति, अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति तथा चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की पदोन्नति शामिल है. उन्होंने कहा कि 16 जनवरी 2025 को अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों की राज्यव्यापी हड़ताल के बाद भी अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई.
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उस समय पटना उच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने एक माह के भीतर समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक उस दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है. संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारी आगे और कड़े आंदोलनात्मक कदम उठाने पर भी विचार कर सकते हैं.





.png)
.gif)







0 Comments