मामले में सिविल सर्जन से बात करने पर उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही है. हालांकि, उन्होंने अब मामले की जांच कराने का आश्वासन तो दिया है लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि, यह आश्वासन क्या किसी की जान वापस लौटा सकता है?
- नया भोजपुर का नाम सुनकर भागने लगे थे स्वास्थ्यकर्मी
- सिविल सर्जन ने कहा, नहीं थी जानकारी, करेंगे मामले की जांच
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विभाग भले ही अपने कार्यों को लेकर भले ही खुद अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन समय - समय पर वास्तविकता की क्रूर हकीकत सामने आ ही जाती है. धरती के भगवानकहे जाने वाले ऐसे ही चिकित्सकों की संवेदनहीनता के कारण इलाज के अभाव में एक गर्भवती महिला ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया. उसका गरीब बेबस पति हुक्मरानों से लगायत अस्पताल के चिकित्सकों तक गुहार लगाता रहा. लेकिन अंततः उसे अपनी पत्नी की जान से हाथ धोना पड़ा. मामले में सिविल सर्जन से बात करने पर उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही है. हालांकि, उन्होंने अब मामले की जांच कराने का आश्वासन तो दिया है लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि, यह आश्वासन क्या किसी की जान वापस लौटा सकता है?
यह वाकया अनुमंडल क्षेत्र के नया भोजपुर गांव स्थित अनुसूचित बस्ती निवासी सचिन कुमार राम के साथ हुआ है. स्वजनो का आरोप हैं कि, रविवार की सुबह सचिन कुमार राम ने अपनी पत्नी नीलम देवी की प्रसव पीड़ा शुरू होने पर पहले एंबुलेंस वाले को फोन किया. लेकिन कोई एंबुलेंस चालक नया भोजुपर गांव का नाम सुनकर जाने को तैयार नहीं हुआ. इस परिस्थिति में पति ने तड़प रही को पत्नी को गोद में लेकर किसी तरह अस्पताल पहुंचाया. वहां पर अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें घंटों बैठाए रखा. इधर प्रसव पीड़ा से बेदम महिला तड़प रही थी. लाचार पति अस्पताल के चिकित्सकों और कर्मियों से हाथ जोड़ जोड़कर इलाज करने की फरियाद कर रहा था लेकिन, इसकी बात को अस्पताल के कर्मचारी नजरअंदाज करते रहे. अंततोगत्वा काफी देर के बाद कागजी कार्रवाई का कोरम पूरा कर जिला मुख्यालय के सिटी अस्पताल में रेफर कर दिया गया. वहां ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रही थी. इधर पत्नी की पीड़ा से परेशान पति अधिकारियों से जान बचाने की गुहार लगायी तो एंबुलेंस मिली जिसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर बक्सर के सिटी हॉस्पिटल पहुंचा.
हॉस्पिटल में पहुंचने से पूर्व ही किया अन्यत्र रेफर:
यहाँ पहुँचाने से पूर्व ही चिकित्सकों को इसकी सूचना मिल गयी थी और बिना मरीज को एम्बुलेंस से उतारे ही उसे वहां से ले जाने का फरमान सुना दिया गया. हैरान-परेशान पति अपनी प्रसव पीड़ा से कराह रही पत्नी को लेकर सदर अस्पताल लेकर पहुंचा. वहां भी चिकित्सा कर्मियों के द्वारा इसके साथ यहीं व्यवहार किया गया और हालत बिगड़ने का हवाला देकर पटना रेफर कर दिया गया. युवक ने बताया कि, जब तक वह अपनी पत्नी को लेकर पटना पहुंचे तब तक काफी विलंब हो चुका था. काफी प्रयास के बाद भी वहां के चिकित्सक जच्चा और बच्चा को नहीं बचा सके. अंतत: सोमवार की सुबह पीड़ित महिला की मौत हो गई.
एक साल पहले हुई थी शादी:
नया भोजपुर गांव स्थित अनुसूचित बस्ती के निवासी अशोक राम के पुत्र सचिन कुमार की शादी एक साल पहले नीलम के साथ हुई थी. दामपत्य जीवन में पहला फूल खिलने को लेकर स्वजनों में बड़ी खुशी थी. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. एक तो पूरे विश्व में कोरोना महामारी तो कोरोना संक्रमितो की संख्या ज्यादा होनें के कारण नया भोजपुर गांव और तीन किलोमीटर की परिधि हाट स्पॉट बन गया हैं. चारों ओर बाहरी पुलिसकर्मियों का पहरा लगा हैं. इसके बावजूद भी प्रसव पीड़ा से तड़पती पत्नी को गोद में लेकर उसके ने इस उम्मीद से अस्पताल का रुख किया कि, डॉक्टर धरती के भगवान होते हैं. अस्पताल पहुंच जाने पर जान जरूर बचा लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पत्नी की मौत के बाद युवक ने फफक पड़ा और बताया कि चिकित्सकों की लापरवाही के कारण नीलम की जान चली गई. फिलहाल इसको लेकर स्वजनों में आक्रोश का माहौल कायम हैं.
कहती हैं सिविल सर्जन:
इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण वर्मा से बात करने पर उन्होंने बताया कि, घटना की जानकारी उन्हें नहीं है. यदि इस तरह का मामला प्रकाश में आता है तो उसकी जांच कराई जाएगी.
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