अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती महिला, चिकित्सकों ने किया इलाज़ से इनकार, नवज़ात की मौत ..

पहले जहां डुमराँव अनुमंडल अस्पताल बंद रहने के कारण एक गर्भवती की मौत हो गई थी वहीं, दूसरी घटना में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा इलाज करने से इनकार किए जाने के कारण पटना पहुंचकर एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. वहीं, अब जो तीसरी घटना सामने आई है उसकी कहानी भी कुछ इसी तरह की है.
अपनी माँ के साथ बैठी आपबीती सुनाती महिला (दाएं)

- काजीपुर गाँव का नाम सुनते ही भगाया
- अस्पतालों के चक्कर काटते-काटते चली गयी नवजात की जान

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: स्वास्थ्य विभाग भले ही अपने आप को चौकस चौकन्ना एवं हर परिस्थिति से निबटने के लिए तैयार बता रहा हो लेकिन, सच्चाई यह है की हर दिन स्वास्थ्य विभाग  की विफलता की कहानी सामने आ रही है. पिछले एक सप्ताह के अंदर ही स्वास्थ्य विभाग की नाकामियों की वजह से 3 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जिनमें एक नवजात भी शामिल है. पहले जहां डुमराँव अनुमंडल अस्पताल बंद रहने के कारण एक गर्भवती की मौत हो गई थी वहीं, दूसरी घटना में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा इलाज करने से इनकार किए जाने के कारण पटना पहुंचकर एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. वहीं, अब जो तीसरी घटना सामने आई है उसकी कहानी भी कुछ इसी तरह की है.

दरअसल, सिमरी प्रखंड के काजीपुर की रहने वाली एक गर्भवती महिला को सिमरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने काजीपुर पता होने के कारण उसका इलाज करने से इंकार कर दिया. दरअसल, पूर्व में कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों से नज़दीकी होने की आशंका पर यह कृत्य किया गया. इस घटना के बाद वह अपने परिजनों की के साथ एक निजी ऑटो से बक्सर सदर अस्पताल पहुंचे. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान चिकित्सकों ने उसे अल्ट्रासाउंड तथा अन्य जांच बाहर से कराने को कहा लेकिन, बाहर निजी जांच घर तथा अल्ट्रासाउंड वालों के इनकार किए जाने के बाद जब महिला के परिजनों ने अपनी व्यथा चिकित्सकों से बताई तो चिकित्सकों ने कोई भी मदद करने से इंकार कर दिया और घर चले जाने को कहा.

सिमरी से बक्सर फिर चौगाई पहुँच कर मिला इलाज, लेकिन, नहीं बची नवजात की जान:

इसी बीच किसी ने सलाह दी कि, उसे चौगाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना चाहिए. जिसके बाद वह ऑटो के माध्यम से पुनः प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची वहां मौजूद चिकित्सकों ने ना सिर्फ गर्भवती महिला का इलाज किया बल्कि, उसने वहां पर एक शिशु को भी जन्म दिया. लेकिन, दुर्भाग्यवश शिशु को बचाया नहीं जा सका. चिकित्सकों ने बताया कि अगर महिला का ससमय इलाज शुरू हो गया होता तो शायद ऐसी दुर्घटना नहीं होती.

आशा कार्यकर्ता ने कहा, अक्सर इसी तरह का कार्य करते हैं पीएचसी के चिकित्सक:

काजीपुर गाँव की आशा कार्यकर्ता सरेहा खातून ने बताया कि, सिमरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा रोगियों को टरकाए जाने का यह कोई नया मामला नहीं है. पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों की मनोदशा ठीक नहीं है. जिसका खामियाजा अक्सर रोगियों को भुगतना पड़ता है.

कहती हैं सिविल सर्जन:

मामला बेहद गंभीर है तथा इसकी पूरी जानकारी लेते हुए जांच कराई जाएगी. मामला सत्य पाए जाने पर जो भी दोषी होंगे उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी.

डॉ. उषा किरण वर्मा
सिविल सर्जन,
बक्सर














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