संविधान के जनक को देशवासियों ने किया नमन ..

उन्होंने कहा कि, बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर ही देश के सभी वर्गों का कल्याण संभव है. उन्होंने कहा कि, बाबा साहब का कहना था कि, शिक्षित बनकर है हम अपना तथा अपने देश का विकास कर सकते हैं. 

 पुष्पांजलि अर्पित करते बक्सर सांसद सह केंद्रीय मंत्री
- कहा, बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर ही देश का कल्याण संभव
- लॉक डाउन की वजह से अपने-अपने घरों में रहकर लोगों ने किया बाबा साहब को नमन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पूरे देश ने उन्हें एक साथ नमन किया. हालांकि, लॉक डाउन होने की वजह से  लोगों ने अपने-अपने घरों से ही उन्हें नमन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने अपने दिल्ली स्थित 30 एपीजे अब्दुल कलाम रोड आवास पर भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया.

उन्होंने कहा कि, "डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का पूरा जीवन समाज के वंचित वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित रहा. भारतीय संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. उन्होंने वंचित समाज को आवाज देने का काम किया. डॉक्टर अंबेडकर न्यायविद, समाज सुधारक, दार्शनिक एवं राजनीतिज्ञ थे. उनका पूरा जीवन वंचित समाज को आगे बढ़ाने और उन्हें प्रेरित करने में लगा रहा. जन्मदिन के अवसर पर ऐसे महिषी को मैं शत-शत नमन करता हूं." उधर, सूबे के परिवहन मंत्री संतोष निराला ने भी संविधान निर्माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अपने घर से ही उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि, बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर ही देश के सभी वर्गों का कल्याण संभव है. उन्होंने कहा कि, बाबा साहब का कहना था कि, शिक्षित बनकर है हम अपना तथा अपने देश का विकास कर सकते हैं. 

कांग्रेस जिलाध्यक्ष तथागत हर्षवर्धन ने बाबा साहब को नमन करते हुए अपने संदेश में बताया कि, उनका पूरा जीवन वंचितों को  उनका हक दिलाने के लिए समर्पित था. ऐसी महान शख्सियत के सिद्धांतों पर चलते हुए ही नागरिक देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं. सदर प्रखंड के छोटका नुआंव पंचायत के मुखिया जय प्रकाश कुमार, भीम आर्मी के बबलू कुमार तथा सुभाष राम ने सामुदायिक भवन पर स्थापित संविधान निर्माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उधर, युवा समाजसेवी मोहित कुशवाहा ने भी बाबा साहब को नमन करते हुए कहा कि युवाओं के लिए बाबा साहब का जीवन आदर्श स्वरूप है. बहुत से अभावों को झेलते हुए भी उन्होंने आखिरकार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.














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