कोरोना कहर को रोकने के लिए नगर के दो बड़े कॉलेजों में रखे जाएंगे नवागंतुक कैदी ..

अधिकारियों को अवगत कराते हुए उनके निर्देश आलोक में आगे कार्य किया जाएगा. इसके अतिरिक्त केंद्रीय कारा में पूर्व से अवस्थित आगंतुक कक्ष तथा मुक्त कारागार में स्थित सामुदायिक भवन को को भी कैदी वार्ड के रूप में डेवलप किया गया है. 

- कारा अधीक्षक तथा उपाधीक्षक ने किया एमवी तथा एलबीटी कॉलेज का निरीक्षण
- जेल के आगंतुक कक्ष को भी कैदी वार्ड के रूप में किया गया डेवलप, मुक्त कारागार के सामुदायिक भवन का भी होगा उपयोग

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना संक्रमण काल में जेल के कैदियों को लेकर जेल प्रशासन तथा राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में कैदियों को संक्रमण से दूर रखने के लिए तमाम तरह के उपाय तथा एहतियात किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जेल महानिरीक्षक मिथिलेश कुमार मिश्रा के निर्देशानुसार बक्सर केंद्रीय कारा में क्षमता को कम किए जाने के मद्देनजर नवागंतुक कैदियों को वर्तमान में न्यायालय से सीधे बिक्रमगंज उपकरा में स्थानांतरित कर दिया जा रहा है हालांकि, ज्यादा संभावना है कि, लॉक डाउन खत्म होने के बाद कैदियों की संख्या में इजाफा हो. ऐसे में जेल प्रशासन के द्वारा कारा परिसर के बाहर भी कुछ भवनों को चिन्हित किए जाने का निर्देश कारा महानिरीक्षक के द्वारा दिया गया था.

निर्देश के आलोक में कारा परिसर में अवस्थित आगंतुक कक्ष तथा मुक्त कारागार में बने सामुदायिक भवन को कैदी वार्ड के रूप में डेवलप किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने जिला प्रशासन से कुछ भवनों को चिन्हित कराए जाने का भी अनुरोध किया था, जिसके आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय के द्वारा महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक कॉलेज का प्रस्ताव जेल प्रशासन को भेजा गया. जिसके बाद जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा तथा उपाधीक्षक सतीश कुमार सिंह के द्वारा दोनों महाविद्यालय के भवनों का निरीक्षण किया गया.

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए जेल अधीक्षक ने बताया कि भवनों का अवलोकन करने के बाद वहाँ की स्थिति से वरीय अधिकारियों को अवगत कराते हुए उनके निर्देश आलोक में आगे कार्य किया जाएगा. इसके अतिरिक्त केंद्रीय कारा में पूर्व से अवस्थित आगंतुक कक्ष तथा मुक्त कारागार में स्थित सामुदायिक भवन को को भी कैदी वार्ड के रूप में डेवलप किया गया है. आगंतुक कक्ष में तो पीएचडी के मदद से पेयजल तथा शौचालय आदि में जलापूर्ति की व्यवस्था को दुरुस्त भी करा लिया गया है. ऐसे में भविष्य में कैदियों की संख्या बढ़ने पर उन्हें उसमें रखा जा सकेगा.













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