स्कूल खोलने की तैयारी: शनिवार तक मांगे गए सुझाव, ऑड-इवन तरीके से संचालन करने पर एकमत हैं संचालक..

संचालकों का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस के कारण बच्चों की पढ़ाई बहुत पिछड़ चुकी है. ऐसे में अब 1 जुलाई से विद्यालयों को खोल देना चाहिए. साथ ही अगर सिलेबस पीछे होता है तो विद्यालय संचालक एक्स्ट्रा क्लास चलाकर उसकी भरपाई करेंगे.

- जिला शिक्षा पदाधिकारी ने व्हाट्सएप ईमेल पर मांगे सुझाव
- 10 बिंदुओं पर मांगे हैं सुझाव, निजी स्कूल संचालकों ने किया स्वागत, दी अपनी राय

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: अनलॉक 1.0 के बाद अनलॉक 2.0 में जुलाई में शिक्षण संस्थानों को शिक्षण कार्य के लिए खोलने के मसले पर शिक्षा विभाग ने छात्रों व अभिभावकों के अलावा शिक्षकों तथा विद्यालय संचालकों से छह जून तक सुझाव मांगा है. जिसमें संस्थानों को खोलने की तिथि से लेकर समय व अन्य मुद्दों पर अपना विचार वाह्टसएप व शिक्षा विभाग के ई-मेल पर देना होगा. सुझाव को फिर सरकार को भेजा जाएगा, जिसके आधार पर संस्थानों को खोलने का अंतिम रूप से निर्णय लिया जाएगा.

जिला शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार झा ने बताया कि 30 मई को गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के आलोक में स्कूल, कॉलेज व कोचिग संस्थानों को जुलाई माह से शिक्षण कार्य के लिए खोला जाना है. जिस पर छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों तथा संचालकों से दस बिदुओं पर राय मांगी गई है, जिससे सरकार को अवगत कराया जा सके. जिस सवाल पर सुझाव मांगा गया है, उसमें स्कूल खोलने की तिथि व समय, नामांकन, संचालन अवधि, बच्चों की उपस्थिति, प्रार्थना सत्र का आयोजन समेत अन्य बातें शामिल हैं. लोग deocellbuxar@gmail.com पर या डीईओ के व्हाट्सएप नम्बर 8544411179 पर शनिवार तक भेज सकते हैं.

निजी स्कूल संचालक संघ ने रखी अपनी बात:

जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा सुझाव मांगे जाने पर निजी स्कूल संचालकों ने आपसी सहमति के आधार पर सभी बिंदुओं पर चर्चा की जिसके बाद ईमेल तथा व्हाट्सएप से सुझाव भी भेजे गए. हालांकि कई बिंदुओं पर सभी संचालकों की एक ही राय रही स्कूल संचालक संघ के संयोजक रविंद्र सिंह ने बताया कि सभी संचालकों का कहना है कि स्कूलों में अब ऑड इवन टेक्निक से पढ़ाई की जाए. जिससे कि स्कूल में 50 फीसद से ज्यादा बच्चे नहीं आए. ऐसे में जो बच्चे सोमवार को स्कूल पहुंचेंगे वह अब बुधवार को स्कूल आएंगे. साथ ही साथ छुट्टी के बाद क्लास तथा बेंच-डेस्क का बेहतर तरीके से सैनिटाइजेशन किया जाए साथ ही सभी बच्चों तथा शैक्षणिक व शैक्षणिक कर्मी अनिवार्य रूप से मास्क पहनेंगे. बच्चों का लंच-बॉक्स तथा वॉटर बोतल सेपरेट हो, भले ही वह एक ही घर से आते हो इसके साथ ही एक बेंच पर केवल दो बच्चे बैठाया जाए. संचालकों का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस के कारण बच्चों की पढ़ाई बहुत पिछड़ चुकी है. ऐसे में अब 1 जुलाई से विद्यालयों को खोल देना चाहिए. साथ ही अगर सिलेबस पीछे होता है तो विद्यालय संचालक एक्स्ट्रा क्लास चलाकर उसकी भरपाई करेंगे.

अभिभावक की राय: एक कक्षा में नहीं बैठे 20 से ज्यादा बच्चे:

इस संदर्भ में डॉ दिलशाद आलम ने एक अभिभावक के तौर पर अपने सुझाव देते हुए बताया है कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार जुलाई के बाद कोविड-19 के मामले कम हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों के बैठने की व्यवस्था बनाई जाए जिसमें कम से कम 2 मीटर की दूरी रहे. साथ ही साथ एक कक्षा में 15 से 20 बच्चे नहीं बैठे. साथ ही बसों में भी फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए 20-30 से ज्यादा बच्चों को नहीं बैठाया जाए. सोशल तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग के बारे में सभी को जागरूक किया जाए. वहीं, यदि बच्चों को सर्दी बुखार हो तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से परामर्श दिलवाया जाए.











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