होल्डिंग टैक्स घोटाला: टीम के सदस्य बीमार, नहीं शुरु हुई मामले की जाँच ..

बताया कि जांच के लिए टीम गठन करने के बाद अभी तक कोई जांच नहीं हो सकी है क्योंकि टीम के सदस्य बीमार पड़ गए हैं. हालांकि, कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार सिंह से 7 लाख रुपये की रिकवरी भी की गई है.

- आरोपी कार्यपालक सहायक से 7 लाख रुपये की राशि रिकवर होने के बावजूद नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
- सात दिनों में पूरी करनी थी जाँच, नहीं हो सकी शुरुआत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर परिषद में 31.60 लाख रुपए के होल्डिंग टैक्स घोटाले के मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास शुरू हो गया है. मामले को लेकर हो रहे लीपापोती के प्रयासों के बीच कार्यपालक पदाधिकारी के स्तर से एक जांच टीम का गठन किया गया. बताया जा रहा था कि यह टीम सात दिनों में मामले की जांच कर नई रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. हालांकि, अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि जांच टीम के सदस्य बीमार पड़ गए हैं.

वैसे, ऐसा हम नहीं कह रहे हैं. यह कहना है कार्यपालक पदाधिकारी सुजीत कुमार का. उन्होंने बताया कि जांच के लिए टीम गठन करने के बाद अभी तक कोई जांच नहीं हो सकी है क्योंकि टीम के सदस्य बीमार पड़ गए हैं. हालांकि, कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार सिंह से 7 लाख रुपये की रिकवरी भी की गई है.

दरअसल, महालेखाकार की आडिट टीम ने जांच के क्रम में यह पाया था कि लाखों रुपयों के होल्डिंग टैक्स की राशि की वसूली के बाद उसका हिसाब नहीं मिल रहा है. दरअसल, जिन लोगों ने वसूली की थी उन्होंने बैंक के खाते में पैसे नहीं जमा किए थे. टीम ने इस पर जल्द से जल्द जवाब देने के लिए कहा था लेकिन, काफी दिनों तक इस मामले की जांच नहीं कराई गई.

बाद में मुख्य पार्षद माया देवी के स्तर से मामला पुनः सामने आने के बाद त्रिसदस्यीय टीम के द्वारा इसकी जांच कराई गई. जांच के क्रम में मामला सत्य पाया गया. हालांकि, कार्यपालक पदाधिकारी इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए तथा उन्होंने एक बार फिर मामले की जांच कराने के आदेश किए हैं. इसके लिए टीम भी बना दी गई है. इसी बीच कार्यपालक पदाधिकारी के निर्देशानुसार जिस कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार सिंह के द्वारा रुपयों के हेरफेर की बात कही जा रही थी उनसे 7 लाख रुपये की राशि को बैंक के खाते में जमा कराया गया है. हालांकि, यहां  सवाल यह उठता है कि अगर इतनी राशि जमा कराई गई तो फिर राशि को अपने पास रखने को लेकर कार्यपालक सहायक का क्या जवाब है? वहीं, सवाल यह भी है कि उन पर गबन के आरोप में प्राथमिकी नहीं दर्ज कराने की जगह नई जांच कमेटी बनाने का क्या मतलब है?

नगर परिषद के विभागीय सूत्रों की माने तो नगर परिषद में बड़े पैमाने पर कई योजनाओं में धांधली की गई है. ऑडिट टीम ने एक और कमी पकड़ी थी जिसमें बताया गया था कि तकरीबन 1 करोड़ 82 लाख रुपए की अग्रधन राशि को नगर परिषद में जमा ही नहीं कराया गया. इसमें 31 लोगों से यह राशि जमा कराने की बात कही गई थी लेकिन, उस मामले में भी अभी तक नगर परिषद का कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.

कहते हैं उप मुख्य पार्षद:

जांच टीम में शामिल एक व्यक्ति को टाइफाइड हो गया है. ऐसे में अभी जांच शुरू नहीं की जा सकी है. हालांकि, उनकी तबीयत ठीक होने के बाद जांच शुरू कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

इन्द्रप्रताप सिंह,
उप मुख्य पार्षद, नगर परिषद, बक्सर











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