भू-माफियाओं पर चला प्रशासन का डंडा, काव नदी की जमीन का दाखिल-खारिज होगा रद्द ..

पूर्व में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ही डीसीएलआर के समक्ष दिए अपने आवेदन में अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु अनुरोध किया था. उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि विजेंद्र राम नामक व्यक्ति ने कैसर-ए-हिंद (भारत सरकार) की 48 डिसमिल जमीन पर कब्जा जमा लिया है तथा वह अब उसे बेच भी रहे हैं. 

- अंचलाधिकारी ने जिला प्रशासन को पत्र लिख की कार्रवाई की अनुशंसा
- भू माफियाओं के कब्जे में है कैसर ए हिंद की 48 डिसमिल जमीन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव के वार्ड संख्या 19 में गांव नदी बांध की जमीन पर किए गए अतिक्रमण के मामले में भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा दिए गए आदेश के तकरीबन 1 साल से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के मामले को लेकर बक्सर टॉप न्यूज़ के द्वारा प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई, जिस पर संज्ञान लेते हुए डुमराँव अंचलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने भू माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की है. उन्होंने भू-माफिया दाखिल-खारिज को रद्द करने की अनुशंसा की है. 

दरअसल, भू-माफियाओं ने नदी के बांध की जमीन पर न सिर्फ अतिक्रमण कर लिया है बल्कि, गलत ढंग से इस का दाखिल खारिज भी करा लिया है. ऐसे में इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सिस्टम की सुस्ती पर सवाल उठाना शुरू कर दिया. असल में पूर्व में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ही डीसीएलआर के समक्ष दिए अपने आवेदन में अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु अनुरोध किया था. उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि विजेंद्र राम नामक व्यक्ति ने कैसर-ए-हिंद (भारत सरकार) की 48 डिसमिल जमीन पर कब्जा जमा लिया है तथा वह अब उसे बेच भी रहे हैं. भूमि सुधार उप समाहर्ता ने इस आवेदन के आलोक में सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की दिशा में 23 जुलाई 2019 को अपने दिए गए आदेश में दाखिल खारिज को विखंडित करते हुए अंचलाधिकारी को यह निर्देश दिया था कि, वह सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराएं हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. जिस पर लोगों ने पत्रकारों के समक्ष अपनी व्यथा रखी.

बक्सर टॉप न्यूज़ ने प्रमुखता से बात को उठाया जिसके बाद अंचलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने दाखिल खारिज रद्द करने की अनुशंसा जिला प्रशासन से की है. इस आदेश के बाद फर्जी दस्तावेज के आधार पर दाखिल खारिज कराने वाले भूमाफिया समेत अतिक्रमणकारियों को झटका लगा है. वहीं, इस मामले को लेकर डीसीएलआर के यहां अपील करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता श्रद्धानंद तिवारी ने अंचलाधिकारी के इस फैसले पर खुशी जताई है.

शिकायतकर्ता को ही बनाया द्वितीय पक्ष

इस मामले में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिसने मामले को लेकर शिकायत की थी प्रशासन द्वारा उसे ही दूसरा पक्ष मान लिया गया है. अंचल स्तर पर होने वाली कार्रवाइयों में लगातार दूसरे पक्ष के तौर पर भू-माफियाओं के सामने शिकायतकर्ता को ही खड़ा किया जाता रहा है. जिससे कि प्रशासनिक कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले में दूसरा पक्ष अंचलाधिकारी को ही बनना चाहिए. जबकि, यह कार्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को करना पड़ रहा है.













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