सबसे गंदे शहरों की सूची में दूसरे नंबर पर पहुंचा बक्सर ..

नगर की साफ-सफाई को लेकर भले ही कई तरह के दावे किए जाते रहे हो अथवा साफ-सफाई को लेकर हर वर्ष करोड़ों रुपए भी पानी की तरह बहाए जाते हो लेकिन, स्वच्छता  की स्थिति नगर में क्या है यह किसी से छिपी नहीं है. डंपिंग जोन की कमी का हवाला देकर नगर परिषद नगर में यत्र तत्र कूड़ा बिखेरता हुआ नजर आता है. 
ज्योति प्रकाश चौक के समीप डंप किया गया कचरा

 

- स्वच्छता सर्वे में 10 लाख तक की आबादी वाले 382 शहरों की रैंकिंग में आया परिणाम
- यत्र-तत्र कचरा डंप करता है परिषद, निस्तारण के लिए अभी तक नहीं हो सका कोई स्थाई समाधान

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर की साफ-सफाई को लेकर भले ही कई तरह के दावे किए जाते रहे हो अथवा साफ-सफाई को लेकर हर वर्ष करोड़ों रुपए भी पानी की तरह बहाए जाते हो लेकिन, स्वच्छता  की स्थिति नगर में क्या है यह किसी से छिपी नहीं है. डंपिंग जोन की कमी का हवाला देकर नगर परिषद नगर में यत्र तत्र कूड़ा बिखेरता हुआ नजर आता है. ऐसी स्थिति में  स्वच्छ शहरों की रैंकिग में बक्सर सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है. देश में एक से दस लाख तक की आबादी वाले 382 शहरों की रैंकिग में बक्सर को 381वां स्थान हासिल हुआ है. इससे नीचे केवल एक शहर गया है. वहीं, देशभर में गंगा किनारे के 46 स्वच्छ शहरों की सूची में भी बक्सर नीचे से दूसरे पायदान, यानी 45वें नंबर पर है. इस श्रेणी में अंतिम स्थान 46वें नंबर पर गाजीपुर काबिज है. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को स्वच्छता सर्वे की रैंकिग जारी की.


स्वच्छता सर्वे में शहर को साफ-सफाई से लेकर कचरा निस्तारण तक के पैमाने पर आंका जाता है. बक्सर नगर परिषद क्षेत्र में साफ-सफाई की बदहाल स्थिति और कचरा प्रबंधन को लेकर अक्सर सवाल खड़े किए जाते हैं. स्वच्छता रैंकिग में भी बक्सर के पिछड़ने की यही वजह मानी जा रही है. जारी रैकिग के अनुसार शाहाबाद क्षेत्र में एक लाख से अधिक आबादी वाले जिलों में आरा, सासाराम और औरंगाबाद की बक्सर से बेहतर स्थिति है. सासाराम जहां 338वें स्थान पर है, वहीं औरंगाबाद 360वें और आरा 363वें स्थान पर है. हालांकि, इनकी भी स्थिति स्वच्छता के मामले में संतोषजनक नहीं है. इस श्रेणी में 382 शहरों की सूची में टॉप पर रहने वाले अंबिकापुर और मैसूर जैसे शहरों ने जहां पांच हजार से ज्यादा स्वच्छता अंक हासिल किए, वहीं बक्सर का कुल स्वच्छता अंक केवल 965 है. 

गंगा किनारे शहरों की स्वच्छता सूची में भी बक्सर फिसड्डी:

स्वच्छता रैंकिग की गंगा किनारे वाले शहरों की सूची में भी बक्सर का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. देशभर में गंगा किनारे बसे 46 शहरों की सूची में भी बक्सर 28.7 अंक लेकर अंतिम से दूसरे स्थान पर है. बक्सर से पीछे अंतिम स्थान पर गाजीपुर है. इस श्रेणी में वाराणसी को सबसे स्वच्छ शहर आंका गया, वहीं बिहार में 78.67 अंक लेकर मुंगेर सबसे आगे है. 

डुमरांव का प्रदर्शन बेहतर:

50 हजार की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में डुमरांव नगर परिषद बेहतर स्थिति में है. इस श्रेणी में जारी जोनल स्तर की सूची में पूर्वी क्षेत्र के 56 शहरों में डुमरांव ने चौथा स्थान हासिल किया. बिहार में सुपौल, लखीसराय और भभुआ के बाद डुमरांव का चौथा स्थान है. हालांकि, ओवरऑल प्रदर्शन में धमतारी और भिलाई जैसे शहर चार हजार अंकों के साथ स्वच्छ शहरों की सूची में अव्वल रहे, वहीं डुमरांव को केवल 1655 अंक हासिल हुए. 

क्या है स्वच्छता का पैमाना:

शहरों में स्वच्छता का मूल्यांकन चार मापदंडों के आधार पर तय होता है. इन मापदंडों में सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए गए हैं. खुले में शौच से मुक्ति, एकीकृत कचरा प्रबंधन, डोर-टू-डोर संग्रह, सफ़ाई, सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय की स्थिति और व्यक्तिगत शौचालय की संख्या को भी सर्वे में शामिल किया जाता है.
बबन सिंह, उप मुख्य पार्षद

 कहते हैं उप मुख्य पार्षद:

स्वच्छता की रैंकिंग में बक्सर के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह अबतक कचरा प्रबंधन के लिए प्रभावी इंतजाम नहीं होना है. प्रयास है कि कचरा निष्तारण के लिए पिट निर्माण और अन्य वैकल्पिक इंतजाम जल्द हों, जिससे अगले साल की रैंकिग में सुधार हो सके.

इंद्रप्रताप सिंह उर्फ बबन सिह, उप मुख्य पार्षद सह प्रवक्ता, नगर परिषद, बक्सर















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