महासमर कथा: पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का था दबदबा, तीनों सीट पर पायी थी विजय ..

26 मार्च 1952 को हुये मतदान में तीनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा की दहलीज पार कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दाखिल करा लिए. परंतु उसी समय हुये लोकसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को नकार दिया था. 1952 में ही हुये लोकसभा चुनाव में शाहाबाद नार्थ-ईस्ट सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कलावती देवी को हार का सामना करना पड़ा था.


- इतिहास के पन्नों में दर्ज है पहले चुनाव की कहानी
- शाहबाद जिले में 22 विधानसभा सीटों पर हुआ था चुनाव


नवीन पाठक की रिपोर्ट

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आजादी के बाद सूबे में हो रहे पहले विधानसभा चुनाव को लेकर जनता में उत्साह था. देश में संविधान लागू हो जाने के बाद 21 वर्ष से अधिक आयु लोगों मतदान करने की इजाजत मिली थी. जबकि वर्ष 1946 में हुये संविधान सभा के अंतरिम चुनाव में मालगुजारी अदा करने वाले ही मतदान की प्रक्रिया में भाग ले सकते थे. 1952 में सूबे का शाहाबाद जिले जिसमें कुल 22 विधानसभा सीटें थी. वर्तमान बक्सर जिले से संबंधित तीन सीट बक्सर सदर, डुमरांव ब्रह्मपुर था. स्वतंत्रता मिलने के बाद लोगों के जेहन में था कि यह मील का पत्थर कांग्रेस की बदौलत मिला है. लोगों का लगाव इस पार्टी के प्रति था. परिणाम भी सामने आया. 26 मार्च 1952 को हुये मतदान में तीनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा की दहलीज पार कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दाखिल करा लिए. परंतु उसी समय हुये लोकसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को नकार दिया था. 1952 में ही हुये लोकसभा चुनाव में शाहाबाद नार्थ-ईस्ट सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कलावती देवी को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी डुमरांव महाराजा स्वर्गीय बहादूर कमल सिंह जिनकी उम्र महज 25 साल की थी. जनता ने उन्हें चुनकर संसद में भेजा था.

बक्सर में दस प्रत्याशियों ने आजमाया था भाग्य:

स्वतंत्र भारत में हो रहे चुनावी उत्सव में सभी लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के प्रयास में थे. हालांकि, अधिकतर लोग इसके मायने नहीं समझ रहे थे. बक्सर विधानसभा चुनाव में दस उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था. चुनाव आयोग के अनुसार उस समय 68 हजार 130 वोटर ही वोट देने के योग्य थे. हालांकि, बूथ तक मात्र 22 हजार 668 ही वोटर पहुंच पाये थे. पहले विधान सभा चुनाव में बक्सर सीट पर केवल 33 प्रतिशत ही वोटिंग हो पायी थी. कांग्रेस पार्टी ने आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले लक्ष्मीकांत त्रिवेदी का अपना उम्मीदवार बनाया था. कड़े मुकाबले में लक्ष्मीकांत त्रिवेदी विजयी रहे. इन्हें 4995 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी शिव प्रसाद रहे थे. जो 3865 वोट हासिल किये थे. तीसरे स्थान पर केशव मिश्रा 2727, रामसुभग 2648, काली प्रसाद 2285 वोट मिले थे.
 
डुमरांव में हरिहर प्रसाद की बोलती रही तूती:

डुमरांव विधानसभा क्षेत्र अपने प्रारंभ काल से ही राजपूत बहुल माना जाता रहा है. हालांकि, बाद में यह अपनी बादशाहत कायम नहीं रख पाया. डुमरांव विधानसभा के लिए हो रहे पहले चुनाव में कांग्रेस ने चर्चित चेहरे व स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई करने वाले चौगाई निवासी सरदार हरिहर सिंह को मैदान में उतारा था. भारत में जब साइमन कमीशन आया था. तब सरदार साहब दस हजार लोगों को लेकर डुमरांव रेलवे स्टेशन पहुंचे थे. साइमन कमिशन के प्रतिनिधियों को ट्रेन से उतरने का मौका तक नहीं दिया था. नमक सत्याग्रह, विदेशी वस्त्र विरोध में इनकी अहम भूमिका थी. इनके साथी राम कुमार त्रिवेदी उर्फ कुमारी बाबा, चुटुर राय, दुर्गा सिंह सहित अन्य ने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभायी थी. इस चुनाव में नौ उम्मीदवार अपने भाग्य का फैसला करने के लिए उतरे थे. उस वक्त इस विधानसभा में 57 हजार 231 वोटर थे. अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 22 हजार 582 वोटर बूथ तक पहुंचे थे. सरदार हरिहर सिंह की तूती के सामने अंबिका ठाकुर की एक नहीं चल पायी. सरदार साहब ने अंबिका ठाकुर को लगभग आधे मतों से हराया था. हरिहर प्रसाद सिंह को 6 हजार 629 मत मिले थे. वहीं अंबिका ठाकुर को 3 हजार 422 वोट से संतोष करना पड़ा था. तीसरे स्थान पर हरि सिंह 3375, चौथे पर लक्ष्मी नारायण 2374 व पांचवें स्थान पर कोकिल प्रसाद 2255 मत हासिल कर रहे. 

राजनीतिक अखाड़े के लिए ब्रह्मपुर रहा है प्रसिद्ध:

शुरू से लेकर अब तक ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र ने राजनीतिक अखाड़े के लिए अपनी अलग ही पहचान बनायी थी. 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 57 हजार 274 वोटरों को अपने पहले विधायक का चुनाव करना था. इस चुनावी दंगल में दस उम्मीदवार एक दूसरे को धूल चटाने के लिए उतरे थे. हालांकि, मात्र 22 हजार 41 ही वोटिंग करने के लिए बूथ पर पहुंच पाये थे. सभी जगह की तरह यहां पर भी कांग्रेस प्रत्याशी का दबदबा रहा. कांग्रेस प्रत्याशी ललन सिंह को 7 हजार 470 वोट मिले थे. इनके निकटतम प्रत्याशी सोशलिस्ट पार्टी के जगदीश प्रसाद रहे. इन्हें 3676 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर शंभूनाथ रहे. इन्हें 3091 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर जगदीशवर प्रसाद को 1696, सचिदानंद को 1337 वोट मिले थे. (क्रमशः ..)















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