आरटीआई कार्यकर्ता मारपीट मामले में जुड़ा नया अध्याय, सीसीटीवी फुटेज नष्ट, जाँच से कतरा रहे पुलिस अधिकारी ..

उन्होंने कहा है कि, पूर्व में ही यह संदेह जताया गया था कि इस घटना से जुड़े अहम सबूत जो कि सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट हो सकते हैं वह नष्ट हो जाएंगे. लेकिन, तत्कालीन थानाध्यक्ष संतोष कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा था कि तीन माह तक सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हो सकते हैं. लेकिन, अब थानाध्यक्ष का तबादला ब्रह्मपुर हो गया है. वही जांचकर्ता अधिकारी का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज 15 दिन के बाद ही नष्ट हो जाते हैं. 

 

- पुलिसिया कार्यशैली पर आरटीआई कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल
- कहा, भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई लड़ने की मिल रही सजा जान पर भी बन गया है खतरा


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: डुमरांव में आरटीआई कार्यकर्ता से मारपीट मामले में पुलिसिया सुस्ती की कहानी को बक्सर टॉप न्यूज़ के द्वारा पूर्व में भी प्रकाशित किया जा चुका है. जिसमें 200 कदमों की दूरी तकरीबन डेढ़ महीने में तय करने की बात उजागर की गई थी. इस मामले में अब सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो जाने तथा जांचकर्ता पुलिस अधिकारी द्वारा मामले से पल्ला झाड़ने की बात सामने आ रही है.  मामले में पीड़ित आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार के द्वारा पुलिसिया सुस्ती पर एक बार फिर सवाल उठाते हुए मीडिया कर्मियों से अपनी व्यथा सुनाई गई है. जिसमें उन्होंने कहा है कि, पूर्व में ही यह संदेह जताया गया था कि इस घटना से जुड़े अहम सबूत जो कि सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट हो सकते हैं वह नष्ट हो जाएंगे. लेकिन, तत्कालीन थानाध्यक्ष संतोष कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा था कि तीन माह तक सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हो सकते हैं. लेकिन, अब थानाध्यक्ष का तबादला ब्रह्मपुर हो गया है. वही जांचकर्ता अधिकारी का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज 15 दिन के बाद ही नष्ट हो जाते हैं. आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि जांच कर्ता अधिकारी के द्वारा भी मामले के अनुसंधान में कोई विशेष रुचि नहीं ली जा रही. 


उन्होंने बताया है कि पुलिस की सुस्ती से एक तरफ जहां कानून पर उनका भरोसा खत्म हो रहा है वहीं दूसरी तरफ उनकी जान पर भी खतरा बना हुआ है. विनोद कुमार ने बताया कि भ्रष्टाचार तथा अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करते रहते हैं. सूचना के अधिकार उसे उन्होंने नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है. दर्जनों आरटीआई नगर परिषद, नगर आवास एवं विकास विभाग तथा राज्य सूचना आयोग को दिए गए हैं. इसी से खार खाए लोगों ने 29 जून को दोपहर तकरीबन 3:15 पर नगर परिषद कार्यालय के समीप स्थित उनकी डीटीडीसी कोरियर दुकान में घुसकर उनसे मारपीट की तथा यह कहा कि, "बहुत आरटीआई लिखते हो .." इस घटना के संदर्भ में डुमराँव थाने में कांड संख्या 12/820 दर्ज करायी गयी लेकिन, अभी तक मामले में कोई विशेष नतीजा नहीं निकला और अब उनकी जान पर भी खतरा बना हुआ है. ऐसे में लग रहा है कि यह भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनकी लड़ाई लड़ने की सजा है जो उन्हें मिल रही है.


उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के जांच के लिए बार-बार अनुरोध करने के बाद भी थानाध्यक्ष के द्वारा जांच से परहेज किया गया, और अब सीसीटीवी फुटेज नष्ट होने की बात कही जा रही है. जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि, कहीं ना कहीं यह पुलिस-अपराधी गठजोड़ है. उन्होंने इस मामले को लेकर गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, मानवाधिकार आयोग तथा जिला अधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को 3 जुलाई को पत्र प्रेषित किया था लेकिन, इस संदर्भ में भी अभी तक कोई पहल नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने डीजीपी के गृह जिले में पुलिस के इस रवैया पर अफसोस जताया है.













Post a Comment

0 Comments