गंगा को बाँधों से मुक्त नहीं करने पर रेगिस्तान बन जाएंगे मैदानी इलाके : रामाशंकर तिवारी

उन्होंने कहा कि, सियासत चमकाने के लिए गंगा को राजनीति का साधन बनाना राष्ट्र एवं स्वयं गंगा के साथ गहरा विश्वासघात है. उन्होंने कहा कि, हरिद्वार के हरकी पौड़ी में ही बांधों की विकरालता के कारण गंगा के पाँव बंध गए हैं. आंध्र प्रदेश के बुलंदशहर के नरौरा बांध से आगे गंगा का पानी नहीं के बराबर आता है. यही कारण है कि मैदानी इलाके में गंगा सूखने लगती है.

- गंगा की अविरलता को बनाए रखने के लिए आयोजित हुई बैठक
- गंगा को कैसे बचाए विषय पर आयोजित हुई विचार गोष्ठी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पतित पावनी गंगा को उत्तराखंड के टिहरी बांध से मुक्त नहीं किया गया तो उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदानी इलाके रेगिस्तान बनने को मजबूर हो जाएंगे. गंगा को लेकर किए जा रहे राजनीतिक प्रपंच से स्वयं गंगा भी हैरान है. यह कहना है गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रामाशंकर तिवारी का.

स्थानीय रामरेखा घाट पर पंडा पुरोहितों के साथ "गंगा कैसे बचे" विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, सियासत चमकाने के लिए गंगा को राजनीति का साधन बनाना राष्ट्र एवं स्वयं गंगा के साथ गहरा विश्वासघात है. उन्होंने कहा कि, हरिद्वार के हरकी पौड़ी में ही बांधों की विकरालता के कारण गंगा के पाँव बंध गए हैं. आंध्र प्रदेश के बुलंदशहर के नरौरा बांध से आगे गंगा का पानी नहीं के बराबर आता है. यही कारण है कि मैदानी इलाके में गंगा सूखने लगती है.

श्री तिवारी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह नमामि गंगे योजना में अविरल गंगा के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करें. मुक्त गंगा निर्मल गंगा को प्रमाणित करेगी. बैठक की अध्यक्षता मोती पांडेय एवं संचालन प्रमोद पांडेय ने किया. मौके पर दीनदयाल पांडेय, योगेश पांडेय, हेमंत पांडेय, राजेश, मनोज, मदन यादव सहित गंगा के कई भक्त मौजूद रहे.


















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