भाषा की दुर्दशा पर साहित्यकारों ने जताई चिंता ..

कहा कि हम लोग हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं जो कि भारत की राजभाषा है पर सरकारी कार्यालयों में अभी अंग्रेजी लेखन एवं न्यायालयों में भी अंग्रेजी का प्रचलन है. हम लोग अपने लेखों, काव्यों, आवेदनों, दैनिक अखबारों द्वारा हिंदी की प्रगति में सहायक बने तथा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में भी प्रयत्नशील रहें. 

 






- हिंदी साहित्य सम्मेलन का तृतीय वार्षिकोत्सव हुआ आयोजित
- कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों ने कहा, भाषा के विकास के लिए सबको करना होगा प्रयत्न

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: हिंदी साहित्य सम्मेलन की तृतीय वार्षिकोत्सव औद्योगिक क्षेत्र में माँ शिवरात्रि अस्पताल के प्रांगण में मनाई गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष तथा हिंदी संस्कृत एवं भोजपुरी भाषा के मर्मज्ञ साहित्यकार महेश्वर ओझा महेश ने की. मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सुलभ, प्रचारक साहित्यकार राजकुमार प्रेमी तथा विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को अंग वस्त्र तथा पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया.




कार्यक्रम का संयोजन आर.के. सिंह ने किया तथा मंच संचालन साहित्यकार तथा वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर वर्मा ने किया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया तत्पश्चात राज नारायण सिंह "राज",के द्वारा सरस्वती वंदना एवं अखिलेश्वर मिश्र के द्वारा स्वस्तायन किया गया. पुनः रांची साहित्य एवं संस्कृति मंच के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव के द्वारा मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह तथा पुष्प माला से सम्मानित किया गया. साथ ही डॉ. रामेश्वर नाथ मिश्र एवं शिव बहादुर पांडेय "प्रीतम", रामेश्वर वर्मा आदि को भी स्मृति चिन्ह एवं पुष्पमाला प्रदान किया गया. मौके पर कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव, निरंकुश जी को भी स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया.





इस दौरान मुख्य अतिथि डॉक्टर अनिल कुमार "सुलभ" ने हिंदी भाषा का प्रसार एवं प्रचार पर अपनी बातें की. उन्होंने कहा कि हिंदी के उत्थान के लिए सभी को प्रयत्नशील होना होगा. हिंदी साहित्य जनतांत्रिक उत्थान में पूर्ण सक्षम है. उन्होंने कहा कि हम लोग हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं जो कि भारत की राजभाषा है पर सरकारी कार्यालयों में अभी अंग्रेजी लेखन एवं न्यायालयों में भी अंग्रेजी का प्रचलन है. हम लोग अपने लेखों, काव्यों, आवेदनों, दैनिक अखबारों द्वारा हिंदी की प्रगति में सहायक बने तथा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में भी प्रयत्नशील रहें. विप सभापति ने भी हिंदी के उत्थान के लिए सभी के प्रयत्न की आवश्यकता जताई. 

मौके पर उपस्थित अन्य लोगों में डॉ ओमप्रकाश केसरी "पवननंदन", शिव बहादुर पांडेय "प्रीतम", श्री भगवान पांडेय आदि मौजूद रहे वहीं, साहित्यकारों तथा कवियों ने काव्य पाठ किया. मौके पर स्थानीय कलाकार गुड्डू पाठक ने एक फिल्मी गीत भी गाया. कार्यक्रम के अंत में शिव बहादुर "प्रीतम", के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभा के समाप्ति की घोषणा की गई.







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