"केयर कुटुंब" बन संस्कारों का बीजारोपण करने निकले समाजसेवी ..

समाज में संस्कारों का ह्रास हो रहा है. लोग छोटे-बड़े का लिहाज भूल गए हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार टूट एवं बिखर रहा है. ऐसे में ग्रामीण समाजसेवियों के द्वारा "केयर कुटुंब" का निर्माण किया जा रहा है. "केयर कुटुंब" नामक टीम में समाज के बुद्धिजीवी तथा प्रबुद्ध वर्ग के लोग शामिल होंगे जो टूटते बिखरते परिवारों को जोड़ने के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के बीच संस्कारों का संचार करेंगे.





- प्रतिभाओं को उभारने के बाद अब समाज की कटुता को दूर करने का होगा प्रयास
- अपनापन बांट समस्याओं को दूर कर की होगी कोशिश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: समाज में संस्कारों का ह्रास हो रहा है. लोग छोटे-बड़े का लिहाज भूल गए हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार टूट एवं बिखर रहा है. ऐसे में ग्रामीण समाजसेवियों के द्वारा "केयर कुटुंब" का निर्माण किया जा रहा है. "केयर कुटुंब" नामक टीम में समाज के बुद्धिजीवी तथा प्रबुद्ध वर्ग के लोग शामिल होंगे जो टूटते बिखरते परिवारों को जोड़ने के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के बीच संस्कारों का संचार करेंगे.





जिले के चौगाई में सरकारी विद्यालयों के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से ज्ञान प्रसार फॉउंडेशन संस्था के बैनर तले चलाए जा रहे अभियान  के बाद समाजसेवियों के द्वारा अब "केयर कुटुंब" नामक अभियान चलाए जाने की बात कही गई है. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए स्थानीय निवासी सह समाजसेवी गुड्डू सिंह ने बताया कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते. ऐसे में उनमें संस्कारों का आभाव पनपता जाता है. उन्होंने बताया कि आज के बच्चे बेहद मेधावी व प्रतिभावान हैं लेकिन, जरूरत है उन्हें बेहतर संस्कार तथा उचित परवरिश देने की. ऐसे में "केयर कुटुंब" नामक एक टीम का निर्माण किया गया है जो लोगों के घरों तक जाकर उन्हें अपनी व्यस्ततम जिंदगी में से परिवार के लिए कुछ समय निकालने का आग्रह करेगी. इतना ही नहीं "केयर कुटुंब" की टीम पारिवारिक समस्याओं तथा विवादों को सुलझाने के लिए भी पहल करेगी. उन्होंने बताया कि टीम में समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को शामिल किया जाएगा.

संस्था के निर्देशन में ग्रामीण प्रतिभाओं को मिलता है पंख:

दरअसल, संस्था के निर्देशन में तकरीबन 5 वर्षों से ज्यादा समय से ग्रामीण प्रतिभाओं को उभारने का काम किया जा रहा है. यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बच्चों को तैयार कराया जाता है. जिसके लिए संस्था सामाजिक सहयोग से बच्चों को पढ़ाती है तथा प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सिलेबस से ही उनका टेस्ट भी लिया जाता है. टेस्ट में अव्वल रहे 10 बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाता है.

संस्कारों की पौध रोपने के लिए घरों तक पहुंचेगी टीम:

उन्होंने कहा कि ऐसा देखा जाता है कि समाज के विभिन्न तबके से आने वाले बच्चों में आजकल संस्कारों का अभाव पनप रहा है. युवा अपराध की ओर आकर्षित ही रहे हैं. ऐसा केवल इसलिए क्योंकि भागदौड़ की इस जिंदगी में मां-बाप अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनके परिजनों से मिलकर काउंसलिंग के माध्यम से परिजनों से उनकी व्यस्ततम जिंदगी में से बच्चों के लिए भी कुछ समय निकालने का अनुरोध किया जाएगा. वहीं, समाज में छोटी-छोटी बातों को लेकर बढ़ रही वैमनस्यता को दूर करने के लिए भी हमारी टीम काम करेगी.








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