निजी जमीन को सरकारी बता निर्माण रोकने के डीसीएलआर के आदेश को चुनौती ..

जहां से उनके पूर्वजों के द्वारा ही कॉलोनी में जाने के लिए 10 फीट का रास्ता दिया गया है. बाकी बचे भूखंड पर उनके पाटीदारों के द्वारा पूर्व में मकान आदि बना है. अब जब विष्णु पांडेय नामक उक्त व्यक्ति उस जमीन पर मकान बनाने लगे तो उधर से गुजर रहे डीसीएलआर प्रभात कुमार की नजर उस पर पड़ी.






- भूस्वामी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव को लिखा पत्र
- रैयती जमीन को सरकारी बता रुकवा दिया गया है निर्माण कार्य

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: एक तरफ जहां राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान भूमि अधिग्रहण किए जाने के क्रम में भूमि सुधार उप समाहर्ता प्रभात कुमार पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें प्रखंड कार्यालय के समीप एक रैयती जमीन के भूस्वामी की जमीन को उनके द्वारा सरकारी जमीन बताकर उस पर काम रोकने का निर्देश दिया गया है. उनके निर्देशानुसार अंचलाधिकारी ने अनुमंडल पदाधिकारी को पत्र लिखकर निर्माण कार्य को रुकवा दिया.



इस बाबत मिली जानकारी के मुताबिक पांडेय पट्टी के रहने वाले विष्णु पाण्डेय, पिता-स्व. राजेन्द्र पांडेय तथा सूरज पांडेय आदि की जमीन सदर प्रखंड कार्यालय के समीप बने कॉलोनी के अग्र भाग में स्थित है. जहां से उनके पूर्वजों के द्वारा ही कॉलोनी में जाने के लिए 10 फीट का रास्ता दिया गया है. बाकी बचे भूखंड पर उनके पाटीदारों के द्वारा पूर्व में मकान आदि बना है. अब जब विष्णु पांडेय नामक उक्त व्यक्ति उस जमीन पर मकान बनाने लगे तो उधर से गुजर रहे डीसीएलआर प्रभात कुमार की नजर उस पर पड़ी. उन्होंने तुरंत ही अंचलाधिकारी को काम रुकवाने का निर्देश दिया जबकि, मौके पर भूस्वामी द्वारा दिखाए जा रहे कागजात तथा अन्य प्रमाण अथवा अंचलाधिकारी के द्वारा भी उन्हें यह बताया गया कि है जमीन रैयती है. बावजूद इसके उन्होंने अंचलाधिकारी को लिखित रूप से काम रोकने का निर्देश दिया. इस आलोक में अंचलाधिकारी के द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी को पत्र लेकर उन्होंने काम रुकवा दिया. इधर, भूस्वामी बार-बार यह सफाई तथा इस बात का प्रमाण दिखा रहे हैं कि यह जमीन उनके खानदानी जमीन है तथा इस पर उनका अधिकार है लेकिन, कोई भी अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में उन्होंने भूमि सुधार तथा राजस्व विभाग के सचिव समेत जिला पदाधिकारी अनुमंडल अधिकारी तथा आरक्षी अधीक्षक को पत्र लिखकर मामले में उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

इस मामले में पूछे जाने पर भूमि सुधार उप समाहर्ता प्रभात कुमार ने बताया कि, उन्होंने इस संदर्भ में अंचलाधिकारी को लिखित रूप से निर्देश दे दिया है. ऐसे में अब वह इस मामले में कुछ नहीं बोलना चाहते. बहरहाल, सवाल यह है कि सभी प्रमाण होने के बावजूद अगर इस तरह किसी की जमीन को सरकारी जमीन बताया जा रहा है तो क्या यह प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल नहीं है?

मामले में पाण्डेय पट्टी के सरपंच प्रतिनिधि संजय कुमार तिवारी ने कहा कि अधिकारियों की इस कार्यशैली को देखने के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि अधिकारी बेलगाम हो गए हैं. ऐसे में उन्होंने मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय में जाने की सलाह भू-स्वामी को दी है.









Post a Comment

0 Comments