रासायनिक खाद का बेहतर विकल्प हो सकता है पराली का प्रबंधन : कृषि मंत्री

कहा कि नए उपकरण तथा आधुनिक तकनीक ने कृषि को और आसान बना दिया है. आज काफी पढ़े लिखे लोग शहर के चकाचौंध भागकर गांव आकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज डुमरांव को विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील करने की कोशिश जारी है. 
कार्यशाला का उद्घाटन करते कृषि मंत्री






- फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में पहुंचे थे कृषि मंत्री
- बताया, औसत उत्पादन के लिहाज से पूरे देश में अव्वल है बिहार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : औसत उत्पादन के लिहाज से बिहार पूरे देश में सबसे अच्छा राज्य है. धान की उन्नत खेती के लिए जापान की टीम आकर शाहाबाद प्रक्षेत्र का दौरा किया था. अब हरेक के.वी.के. में मिट्टी जांच तथा किसानों के लिए परामर्श केंद्र की सुविधा दी जाएगी. रासायनिक खाद के इस्तेमाल को रोकने के लिए पराली को जलाने के बजाय खाद के रूप में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है. उक्त बातें राज्य की कृषि सहकारिता तथा गन्ना विकास मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने रविवार को वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज डुमरांव में जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए कही.

उन्होंने कहा कि शाहाबाद की पहचान उन्नत खेती तथा मेहनती किसान के रूप में रही है तभी तो आजादी के पहले से शाहाबाद को धान उत्पादन का कटोरा कहा गया. युवा किसान खेती की नई तकनीक को अपनाकर लाभ उठा सकते है. उन्होंने कहा कि आरा कृषि विज्ञान केंद्र को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से जोड़ा जाएगा. प्रखंड स्तर पर कृषि प्रयोगशाला का घोषणा करते हुए शाहाबाद क्षेत्र कि किसानों को मेहनत और लगन के साथ काम करने की अपील की.




तकनीक ने बनाया खेती को आसान :

तकनीक पर बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि नए उपकरण तथा आधुनिक तकनीक ने कृषि को और आसान बना दिया है. आज काफी पढ़े लिखे लोग शहर के चकाचौंध भागकर गांव आकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज डुमरांव को विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील करने की कोशिश जारी है. इससे पूर्व कृषि कॉलेज डुमरांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में आए पांच जिलों के किसान कार्यशाला में भाग लिए. कार्यक्रम को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रविद्र कुमार सुहाने ने संबोधित करते हुए कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन पर नई तकनीक से बेहतर विकल्प मिलेगा. उन्होंने कहा कि कौशल विकास के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार देने तथा बिहार की कृषि उत्पाद को बाहर भेजकर बेहतर मुनाफा कमाने की प्रयासों पर काम चल रहा है. आयोजित कार्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक पीएस पांडेय, निदेशक आइ.आर.आर.आइ. डॉ.सुधांशु सिंह, निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ.अंजनी कुमार और डीन राणा सिंह ने संबोधित किया. स्वागत भाषण कॉलेज के प्राचार्य डॉ रियाज अहमद ने दिया.









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