बजट को लेकर लोगों ने दी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं ..

कहा कि बजट में आत्मनिर्भर भारत के नाम पर मध्यम वर्ग एवं नौकरी पेशा लोगों को निराशा के गड्ढे में डाल दिया है क्योंकि, इसने आयकर की सीमा में छूट देने के बजाय पीएफ़ को भी कर योग्य बना दिया है. इस बजट में "देश ना बिकने दूंगा" का नारा लगाते हुए हवाई अड्डा, रेल प्लेटफार्म, एवं भारतीय जीवन बीमा निगम को बिक्री योग्य बना दिया है. 






- चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ने बताया रोजगार में वृद्धि लाने वाला बजट
- वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा भोजपुरी साहित्य मंडल के महासचिव ने बताया देश को गड्ढे में धकेलने वाला

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्रीय बजट को लेकर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है बक्सर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सत्यदेव प्रसाद ने बताया है कि, इस बार का बजट देश को आगे विकास की तरफ ले जाने वाला है. विदेशी निवेश बढ़ेगा, रोड, मेट्रो आदि के कार्यों में तेजी आएगी, जिससे रोजगार में वृद्धि होगी. लोहा आयात शुल्क कम होने से लोहा स्टील सस्ता होगा. कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी हुई है, इससे देश में उत्पादन करने की प्रक्रिया तेज होगी और रोजगार में भी वृद्धि होगी. उधर एमवी कॉलेज के अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार ने बताया है कि, कर्मचारी करदाताओं को जब दिए मिला नहीं तो उन्हें कर स्लैब में भी छूट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. प्रत्यक्ष कर में सिर्फ 75 वर्ष के बुजुर्गों को दर से छूट देकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश सराहनीय है. बजट में कृषि क्षेत्र में भी अत्याधिक निवेश एवं आधुनिकीकरण की गई है. कोरोना काल में कुल मिलाकर बजट संतुलित है. उधर वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि बजट में आत्मनिर्भर भारत के नाम पर मध्यम वर्ग एवं नौकरी पेशा लोगों को निराशा के गड्ढे में डाल दिया है क्योंकि, इसने आयकर की सीमा में छूट देने के बजाय पीएफ़ को भी कर योग्य बना दिया है. इस बजट में "देश ना बिकने दूंगा" का नारा लगाते हुए हवाई अड्डा, रेल प्लेटफार्म, एवं भारतीय जीवन बीमा निगम को बिक्री योग्य बना दिया है. 


भोजपुरी साहित्य मंडल के महासचिव डॉ. अरुण मोहन भारवि ने कहा कि केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट एक लोक लुभावन तथा चीनी की चाशनी में कड़वी गोली की तरह है. इसमें कोरोना काल में संकट के दौर से गुजर रहे वेतनभोगी आम लोगों को राहत बदले कारपोरेट जगत के हितों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. आयकर के स्लैब में सुधार नहीं करना, गृह अन्य को कोई राहत नहीं देना, कोरोना काल में अपनी नौकरी गंवा चुके करोड़ों लोगों की घाव पर पट्टी बांधने के बजाय मुट्ठी भर लोगों के हितों पर ज्यादा फोकस करना दिखाई दे रहा है. किसानों के उत्पाद को लागत मूल्य दिलाने से ज्यादा उद्योगपतियों एवं पूंजीपतियों को राहत दिलाने वाला यह बजट है. जिससे अमीर एवं गरीब के बीच खाई और बढ़ेगी.









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