मर्यादा का पालन कर श्रीराम बने मर्यादा पुरुषोत्तम: आचार्य

बताया कि, भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों के अतिरिक्त कई देशों में भी आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं. आज जरूरत है कि देश का हर व्यक्ति श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं तथा श्री राम के परिवार की तरह एक आदर्श परिवार की स्थापना करे.







- चौथे दिन की भागवत कथा में श्रीराम के जीवन वृत्त का आचार्य ने किया वर्णन
- पांडेय पट्टी गांव में आयोजित है सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर प्रखंड के पांडेय पट्टी में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिन श्री राम के जीवन वृत का वर्णन किया गया. कथा वाचक आचार्य उमेश भाई ओझा ने कथा की शुरुआत करते हुए बताया कि, भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों के अतिरिक्त कई देशों में भी आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं. आज जरूरत है कि देश का हर व्यक्ति श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं तथा श्री राम के परिवार की तरह एक आदर्श परिवार की स्थापना करे.


आचार्य ने बताया कि राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया. श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है. श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा. इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है. राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा "रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई" की थी. पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया. पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन (वनवास) जाना उचित समझा. भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए. भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊं) ले आए. फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया. जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया. जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये. राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंंढा. समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंचे तथा रावण के साथ युद्ध किया. उसे मार कर सीता जी को वापस ले कर आये. राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया. राम न्यायप्रिय थे. उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं. बता दें कि भागवत कथा आगामी 24 फरवरी तक दिन के 1:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक पांडेय पट्टी में आयोजित की गई है.









Post a Comment

0 Comments