टोल फ्री नंबर पर शिकायत की बात बेमानी, लेबल नीचे जाने से लोगों को नहीं मिल रहा पानी ..

फोन लगाने पर सबसे पहले जहां लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा स्वागत किए जाने पर सुखद अनुभूति होती है वहीं, उसके बाद लगातार इंतजार करते-करते उपभोक्ताओं का समय गुजर जाता है. ऐसे में यहां शिकायत दर्ज हो ही नहीं पाती जिसके कारण जलापूर्ति की समस्या से आक्रांत लोग अपनी बेबसी पर आंसू बहते रहते हैं
कुल्हड़िया गांव में चापानल से पानी निकालने की कोशिश कर रही महिला





- लंबे इंतजार के बावजूद नहीं दर्ज हो पा रही शिकायत
- सदर प्रखंड के एक ही गांव में दो दर्जन से ज्यादा चापानल सूखे

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: राज्य सरकार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में हर घर नल का जल योजना तथा अन्य किसी प्रकार की जलापूर्ति की समस्या को लेकर एक टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस टोल फ्री नंबर 18001231121 पर शिकायत कर लोग अपनी समस्या का त्वरित समाधान पा सकते हैं लेकिन, इस नंबर पर फोन लगाने पर कुछ और ही हकीकत सामने आती है. फोन लगाने पर सबसे पहले जहां लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा स्वागत किए जाने पर सुखद अनुभूति होती है वहीं, उसके बाद लगातार इंतजार करते-करते उपभोक्ताओं का समय गुजर जाता है. ऐसे में यहां शिकायत दर्ज हो ही नहीं पाती जिसके कारण जलापूर्ति की समस्या से आक्रांत लोग अपनी बेबसी पर आंसू बहते रहते हैं.

सदर प्रखंड के जगदीशपुर पंचायत के कुल्हड़िया गांव के वार्ड संख्या 9 एवं 10 में वॉटर लेबल नीचे चले जाने के कारण तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा घरों में चापाकल से पानी आना बंद हो गया है. ऐसे में सुबह शाम एक-एक घंटे के लिए सात निश्चय योजना के तहत हो रही जलापूर्ति पर ही लोगों को आश्रित रहना पड़ता है. किसी दिन यदि बिजली चली गई तो फिर जलापूर्ति के लिए दिन भर इधर से उधर भटकना पड़ जाता है.





वर्ष 2019 में आई थी इसी तरह की समस्या:

गृहणी अलका पांडेय बताती हैं कि वर्ष 2019 में इसी तरह की स्थिति बनी थी. वर्ष 2020 में कोरोना काल में लगातार बारिश होने के कारण वॉटर लेबल कम नहीं हुआ, जिससे कोई परेशानी नहीं हुई. अब एक बार फिर जलापूर्ति की समस्या सामने आई है. उन्होंने बताया कि घर के लोग सुबह 3:00 बजे जग कर चापाकल चलाने लगते हैं कि यदि रात भर में वॉटर लेबल कुछ ऊपर हुआ हो तो पानी आ जाए लेकिन, उनके हाथ निराशा ही लगती है. सुबह 7:00 बजे से 8:00 तक सात निश्चय योजना के तहत जलापूर्ति की जाती है, जिसका पानी ड्रम, बाल्टी आदि में रखना पड़ता है. उसी से स्नान, कपड़े धोने समेत खाना बनाने तक का काम करना पड़ता है.



लिमिटेड समय में पानी भरने के लिए होती है मारामारी, शिकायत नहीं सुनते अधिकारी:

इसी गांव के रहने वाले सुरेंद्र पांडेय, अनिरुद्ध यादव, विश्वामित्र यादव, नथुनी गोंड़, रामविलास गोंड़, छोटे लाल, बिजली यादव, ददन यादव समेत कई ग्रामीणों का यह कहना है कि, कई बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारी इस संदर्भ में कोई पहल नहीं करते. यहां तक कि उनसे यह कहा जाता है कि वह यदि सरकारी चापानल को ढूंढ कर बताए तो उसे दुरुस्त किया जाएगा. वह वहां जा कर पानी भर सकते हैं. ऐसे में पानी के लिए होने वाली मारामारी के बीच सुबह 7:00 से 8:00 सभी अपने घर में सक्रिय होकर केवल पानी भरने का काम करते हैं यही हालत शाम को भी होती है. ऐसे  में यदि आप पानी भरने से चूक गए तो फिर दिन भर पानी के लिए इधर से उधर भटकना पड़ता है.

कहते हैं अधिकारी:

जलापूर्ति से संबंधित कोई भी शिकायत टोल फ्री नंबर के माध्यम से राज्य मुख्यालय में दर्ज होती है. वहां से शिकायत के बारे में जानकारी मिलते ही उसे दुरुस्त कर दिया जाता है. नवंबर से लेकर अब तक लगभग 23 शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिन्हें ठीक किया गया है हालांकि, जगदीशपुर पंचायत में वॉटर लेबल नीचे जाने की कोई शिकायत अब तक प्राप्त नहीं हुई है.

पवन कुमार
कार्यपालक अभियंता,
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग




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