डॉ. अल्पना मिश्र बनी दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर, बलिया क्षेत्र में हर्ष का माहौल ..

प्राप्त पुरस्कारों पर नज़र डालें तो उन्हें शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान; परिवेश सम्मान; राष्ट्रीय रचनाकार सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता; शक्ति सम्मान, प्रेमचंद कथा सम्मान, वनमाली कथा सम्मान प्राप्त हैं. वह देश तथा विदेश में हिंदी की ख्यातिलब्ध कथाकार हैं. 2018 में जापान ने अल्पना मिश्र के साहित्य पर केंद्रित पन्द्रह दिनों का कार्यक्रम अपने पांच शहरों में कराया था. 

 



- साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी की भतीजी है डॉक्टर अल्पना
- देश विदेश में फैली है साहित्य की ख्याति

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मूल रूप से ओझवलिया बलिया की रहने वाली डॉक्टर अल्पना मिश्र को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में कल उन्हें उनके ड्यू डेट से ही प्रोफ़ेसर के पद पर पदोन्नत किया गया. अल्पना मिश्र का जन्म 18 मई1969 को बलिया उत्तर प्रदेश में हुआ था.. अल्पना मिश्र हिंदी के मूर्धन्य आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के सगे अनुज रविन्द्र नाथ द्विवेदी की पुत्री  हैं. साहित्य का ग़ुर उन्हें विरासत में प्राप्त है.




उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तथा परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की है. इन्होंने उच्च शिक्षा इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्जित की है. दिल्ली विश्वविद्यालय में 2010 से ये एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य कर रही हैं. अब तक इनकी लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुके हैं.
'अन्हियारे तलछट में चमका' (उपन्यास)' भीतर का वक़्त', 'छावनी में बेघर', 'क़ब्र भी कैद औ' जंजीरें भी', 'स्याही में सुर्खाब के पंख', 'अल्पना मिश्र : चुनी हुई कहानियाँ' (कहानी); कहानियाँ रिश्तों की: सहोदर (सम्पादन); ‘अस्थि फूल’ , ‘सहस्त्रों विखंडित आईने में आदमक़द', 'स्त्री कथा के पाँच स्वर', 'स्वातंत्र्योत्तर कविता और रामदरश मिश्र का काव्य वैशिष्ट्य' (आलोचना); पंजाबी, बांग्ला, कन्नड़, अंग्रेजी, मलयालम, जापानी आदि भाषाओं में कहानियाँ अनुवादित हुई हैं.

इनको प्राप्त पुरस्कारों पर नज़र डालें तो उन्हें शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान; परिवेश सम्मान; राष्ट्रीय रचनाकार सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता; शक्ति सम्मान, प्रेमचंद कथा सम्मान, वनमाली कथा सम्मान प्राप्त हैं. वह देश तथा विदेश में हिंदी की ख्यातिलब्ध कथाकार हैं. 2018 में जापान ने अल्पना मिश्र के साहित्य पर केंद्रित पन्द्रह दिनों का कार्यक्रम अपने पांच शहरों में कराया था. उनका साहित्य भारत व दुनिया की अनेक भाषाओं में अनूदित है.

कल दिनांक 19 मार्च को दिल्ली में जैसे ही इनके प्रोफ़ेसर बनने की सूचना प्राप्त हुई ,पूरे जनपद सहित क्षेत्र में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. अल्पना जी को फ़ोन पर बधाई एवं शुभकामनाएं देने का ताँता लग गया. शुभकामना देने वालों में शिक्षक नेता विवेक कुमार पाण्डेय, पुर इंटर कॉलेज के हिंदी के प्रवक्ता उमेश तिवारी मनोज पांडेय, राम जी गिरी, शिक्षक आशुतोष ओझा, लक्ष्मण दास इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अश्वनी उपाध्याय, सुरेश यादव व उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सुल्तानपुर के प्राचार्य संतोष पांडेय तथा अन्य शामिल रहे.






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