विदेशों में वैक्सीन नहीं भेजती सरकार तो गंगा में नहीं मिलती इतनी लाशें: टीएन चौबे

लोगों की जान की कीमत पर कारोबार इस देश की परंपरा और संस्कार नहीं है. लोगों की जान बचाने पर ध्यान दें, न कि अपने छवि निर्माण पर. सरकार कहती है कि वैक्सीन पर्याप्त संख्या में है तो फिर चार सप्ताह बाद दूसरी वैक्सीन लगने वाली कुछ दिन बाद छह से आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा. अब सरकार कह रही है कि कोविशील्ड लगवाने वाले व्यक्ति को दूसरी डोज 12 से 16 सप्ताह में लगवानी चाहिए. 

 





- वैक्सीनेशन की धीमी चाल को लेकर कांग्रेसी नेता ने बोला केंद्र सरकार पर हमला
- कहा, देश की जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है केंद्र सरकार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरीय नेता टीएन चौबे ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार अगर वैक्सीन को दूसरे मुल्कों में नहीं भेजती तो एक साथ इतने लोगों के शवों का दाह जैसा ह्रदय विदारक दृश्य नहीं देखना पड़ता. 




उन्होंने कहा कि हमें याद है कि मोदीजी ने एक बार कहा था कि ‘मैं गुजराती हूं, मेरे खून में है कारोबार’, लेकिन लोगों की जान की कीमत पर कारोबार इस देश की परंपरा और संस्कार नहीं है. लोगों की जान बचाने पर ध्यान दें, न कि अपने छवि निर्माण पर. सरकार कहती है कि वैक्सीन पर्याप्त संख्या में है तो फिर चार सप्ताह बाद दूसरी वैक्सीन लगने वाली कुछ दिन बाद छह से आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा. अब सरकार कह रही है कि कोविशील्ड लगवाने वाले व्यक्ति को दूसरी डोज 12 से 16 सप्ताह में लगवानी चाहिए. लोग असमंजस में हैं कि एक सप्ताह में क्लीनिकल रिसर्च कैसे बदल जाती है? मोदी सरकार लोगों के जान के साथ खिलवाड़ कर रही है. कोरोना वैक्सीन हर सौ की आबादी में डोज देने वाले देशों की प्रतिशत में हमारा देश भारत दुनिया के देशों में 77वें पायदान पर पिछड़ चुका है. देश की संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने 16 अक्टूबर, 2020 को वैक्सीन को लेकर जो सुझाव दिए थे, भारत सरकार ने उनकी पूर्ण अनदेखी की है.

उन्होंने कहा कि जिन देशों ने कोरोना की वैक्सीन के डोज देने में अग्रिमता रखी है, वहां कोरोना संक्रमण की चेन टूटी है. जीवन रक्षा के साथ सामान्य स्थिति बनी हुई है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि वैक्सीन बनाने की क्षमता में दुनिया में अव्वल देश भारत केवल 10 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन का पहला टीका लगा पाया है. अगर पूरे वैक्सीनेशन की बात करें तो केवल 2.7 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन लग सकी है. यानी 100 की आबादी पर वैक्सीन की एक खुराक भी लें, तो भी हमारा देश 13 फीसदी के अंक को भी पार नहीं कर सका है. आगे श्री चौबे ने कहा कि महामारी से जीतने के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें पूरी जनसंख्या के 60 फीसदी से अधिक लोगों का टीकाकरण करना होगा तभी कोरोना से बचाव संभव है.








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