46 लाख के दवा घोटाले के आरोपी पूर्व डीपीएम पर डीएम ने दिए कार्रवाई के आदेश ..

इतना ही नहीं उन्होंने 7 दिनों के अंदर वित्तीय क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया है. वित्तीय क्षति का आकलन किए जाने के पश्चात प्राथमिकी दर्ज करते हुए डीपीएम से वित्तीय स्थिति की राशि वसूलने के लिए नीलाम पत्र दायर करने तथा उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया है.





- दवा खरीद में लाखों रुपये के वित्तीय अनियमितता की सामने आई थी बात
- मामले में सेवा से बर्खास्त कर दिए गए थे डीपीएम

बक्सर टॉप न्यूज़, जिले के विभिन्न विभागों में जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है वहीं, दूसरी तरफ भ्रष्टाचारियों को बचाने की वकालत भी अधिकारियों के द्वारा किए जाने की बात अक्सर सामने आती रहती है. ऐसे ही एक मामले में लाखों रुपये के दवा घोटाले मामले में बर्खास्त किए गए तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी धनंजय शर्मा के विरुद्ध कार्रवाई करने में विभाग नरमी बरत रहा है. हालांकि, विभाग के इस रवैये पर जिला पदाधिकारी ने आपत्ति जताते हुए सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ से जवाब तलब किया है. इतना ही नहीं डीएम ने वित्तीय क्षति के आकलन के लिए उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है.

दरअसल, धनंजय शर्मा के विरुद्ध 2017-18 में बक्सर डीपीएम के पद पर रहते हुए 46 लाख रुपये के दवा व उपकरण खरीदने के मामले में घोटाला किया था. 2019 में बक्सर से तबादले के बाद कैमूर डीपीएम के पद पर गए धनंजय शर्मा वहां से इस्तीफा दे दिया था. बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. बर्खास्त डीपीएम धनंजय शर्मा पर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने सरकार को हुई वित्तीय क्षति की गणना करते हुए उनसे वसूली करने एवं अन्य दंडात्मक एवं कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था लेकिन, सेवा से बर्खास्त डीपीएम पर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. यहां तक कि उन पर एफआइआर भी नहीं कराई गई. इस बात को लेकर पत्रकारों के द्वारा सवाल उठाने पर जिला पदाधिकारी अमन समीर ने सिविल सर्जन को 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण देने का पत्र जारी किया है. साथ ही यह पूछा गया है कि उनके द्वारा इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है? इतना ही नहीं उन्होंने 7 दिनों के अंदर वित्तीय क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया है. वित्तीय क्षति का आकलन किए जाने के पश्चात प्राथमिकी दर्ज करते हुए डीपीएम से वित्तीय स्थिति की राशि वसूलने के लिए नीलाम पत्र दायर करने तथा उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया है.

क्या था मामला?: 

दरअसल,  धनंजय शर्मा ने 2017-18 में बक्सर डीपीएम के पद पर रहते हुए 46 लाख रुपये के दवा व उपकरण खरीदने के मामले में घोटाला किया था. इस दौरान विभागीय नियमों को ताक पर रखते हुए जिले में दवाओं की खरीद की गई थी. इनमें बिना टेंडर के ही कई गुना ज्यादा कीमतों पर दवाओं की खरीद करते हुए किसी एक दवा कंपनी को लाभ पहुंचाने का मामला सामने आया था. इसी बात को लेकर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक मनोज कुमार के तत्कालीन डीपीएम तथा जिला अकाउंटेंट को सेवा से बर्खास्त कर दिया. उसी वक्त सिविल सर्जन को यह निर्देश दिया गया था कि, घोटाले से हुई क्षति का मूल्यांकन करा कर उसकी रिकवरी करते हुए प्राथमिकी दर्ज की जाए लेकिन, ऐसा नहीं हो सका. इस घोटाले की जद में तत्कालीन सिविल सर्जन भी आई थी लेकिन, अभी तक इस मामले से उन्हें दूर रखा गया है बताया जा रहा है कि वह सेवानिवृत्त हो चुकी हैं.

- डॉ. शशांक शेखर की रिपोर्ट










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