काव नदी की हजारों एकड़ जमीन के अवैध कब्जे से मुक्ति की लड़ाई में सामाजिक मंच को मिली पहली सफलता ..

ऐसे लोगों के विरुद्ध डुमराँव में सामाजिक मंच के द्वारा लड़ाई शुरू कर दी गई है. नदी को बचाने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया गया है. इसी कोशिश के क्रम में डुमराँव में भू माफियाओं के द्वारा गलत ढंग से अपने नाम दाखिल-खारिज करा लिए जाने के मामले में बड़ा फैसला आया है. जिसे सामाजिक मंच इस लड़ाई में अपनी पहली जीत मान रहा है. 





 
- सामाजिक मंच ने शुरू की है जमीन को अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाने की लड़ाई
- जल्द ही पूरे देश के पर्यावरणविदों का डुमराँव में होगा सम्मेलन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: अघौरा पहाड़ से निकल कर मालियाबाग में गंगा नदी से मिलने वाली काव नदी की नावानगर से लेकर सिमरी तक हजारों एकड़ जमीन पर माफियाओं की कुदृष्टि पड़ गई है. भू माफियाओं के द्वारा धीरे-धीरे नदी की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है साथ ही उसे अपने नाम पर गलत ढंग से दाखिल खारिज भी करा लिया गया है. कलकल बहती नदी नावानगर से सिमरी के बीच में विलुप्त सी हो गई है. हालांकि, ऐसे लोगों के विरुद्ध डुमराँव में सामाजिक मंच के द्वारा लड़ाई शुरू कर दी गई है. नदी को बचाने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया गया है. इसी कोशिश के क्रम में डुमराँव में भू माफियाओं के द्वारा गलत ढंग से अपने नाम दाखिल-खारिज करा लिए जाने के मामले में बड़ा फैसला आया है तथा डीसीएलआर ने उसकी जमाबंदी रद्द कर दी है. इस फैसले को सामाजिक मंच लड़ाई में अपनी पहली जीत मान रहा है. 

दरअसल, चकबंदी एवं अंचल कार्यालय के कर्मियों की सांठगांठ से सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश को नाकाम किया गया है. गलत ढंग से 16 कट्ठे सरकारी जमीन को अपने नाम पर दाखिल-खारिज करा दिए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए भूमि सुधार उप समाहर्ता ने जमाबंदी को रद्द करने का आदेश दिया है. हालांकि, इसके पूर्व ही अंचलाधिकारी के द्वारा भूमि पैमाइश कराते हुए सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटवा दिया गया था.

दरअसल, औद्योगिक थाना क्षेत्र के सिकरौल गांव निवासी खूबलाल राम, पिता-सोमारु राम ने गांव नदी के बांध की जमीन को गलत कागजात प्रस्तुत करते हुए  अंचल कर्मियों तथा चकबंदी कार्यालय के कर्मियों की सांठ-गांठ से अपने नाम करा ली गई थी. खूबलाल राम की मृत्यु के बाद इस जमीन को उनके पुत्र विजेंद्र राम के नाम कर दिया गया था. जिसके विरुद्ध स्थानीय निवासी बबन माली एवं ददन सिंह ने सीओ तथा डीसीएलआर के यहां आवेदन दिया था बाद में जब वहां से कोई फैसला नहीं आया तो यह लोग न्यायालय में चले गए. इस दौरान सामाजिक मंच से जुड़े कार्यकर्ता अक्षयमणि सिंह डीएम स्तर तक गए तथा श्रद्धानंद तिवारी ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में वाद लाया, जिसमें सुनवाई करते हुए भूमि सुधार उप समाहर्ता देवेंद्र प्रसाद शाही ने जमीन जमाबंदी को गलत ठहराया और उसे विखंडित कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता अजय राय ने भी इस फैसले पर हर्ष जताते हुए कहा कि, उन्होंने भी जल बचाओ-पानी बचाओ के कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी के समक्ष नदी को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की मांग रखी थी.

हजारों एकड़ जमीन पर है भू माफियाओं का कब्जा, सामाजिक मंच लड़ेगा लंबी लड़ाई

सामाजिक मंच से जुड़े प्रदीप शरण, विनोद कुमार, सुरेश यादव, अखिलेश केशरी, विनोद पासवान, सुनील तिवारी आदि बताते हैं कि, नावानगर से लेकर सिमरी के अंतिम छोर तक नदी की हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है. वर्तमान मामला तो केवल 16 कट्ठे जमीन से जुड़ा हुआ है. नदी के अवैध कब्जे को दूर कराने के लिए लगातार सामाजिक मंच लड़ाई लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि, अभी तो यह पहली सफलता है आगे और भी लड़ाइयां लड़ी जाएंगी. उन्होंने बताया संक्रमण काल के खत्म होते ही पूरे हिन्दुस्तान के पर्यावरणविद डुमराँव में जुटेंगे तथा नदी के अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ाई का शंखनाद किया जाएगा.

कहते हैं अधिकारी:

काव नदी के बांध की जमीन से अवैध कब्जा हटाया जाएगा. वहीं इस नदी की महत्ता को देखते हुए नगर क्षेत्र में अवस्थित गांव नदी के रकबा में मत्स्य पालन एवं तैराकी प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने को लेकर प्रशासन द्वारा कवायद जारी है.

देवेंद्र प्रसाद शाही,

भूमि सुधार उप समाहर्ता, डुमरांव








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