तय समयावधि में भी नहीं मिल रहा सेवा का अधिकार, अधिकारी रो रहे कर्मियों की कमी का रोना ..

नाम न छापने की शर्त पर एक कार्यालय कर्मी ने बताया कि अंचल कार्यालय में पांच परिचारी नियुक्त हैं लेकिन, उन में से चार की प्रतिनियुक्ति दूसरे विभागों में कर दी गयी है। ऐसे में वह तनख्वाह तो अंचल कार्यालय से लेते हैं लेकिन, ड्यूटी कहीं और बजाते हैं. इस प्रकार अंचल कार्यालय में वास्तविक रूप से केवल एक परिचारी ही है जो कार्य कर रहे हैं.






- प्रमाण पत्र को बनवाने के लिए अंचल कार्यालय में लगातार चक्कर काट रहे लोग
- परेशान लोगों ने आर्थिक दोहन का भी लगाया आरोप

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जाति-आवास, आय प्रमाण पत्र, पारिवारिक सूची, तथा दाखिल-ख़ारिज कराने को लेकर सेवा के अधिकार के तहत लोगों को निर्धारित समय अवधि में उनके प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने का नियम सरकार के द्वारा बनाया गया है. अब तो लोग घरों से बैठे बैठे ही ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं लेकिन, सेवा के अधिकार के तहत मिले आवेदनों पर संबंधित लोगों के द्वारा बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा तथा तय समयावधि में कार्य नहीं हो रहे. ऐसे में लोग अपने प्रमाण पत्र बनाने के लिए लगातार प्रखंड व अंचल कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं. लोगों का कहना है कि बगैर सही कारण बताए आवेदन को अस्वीकार करने के साथ उसी कार्य के लिए अवैध वसूली होती है.



कोइरपुरवा के रहने वाले अनिरुद्ध प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने अपनी पुत्री का आवासीय प्रमाण पत्र लेने के लिए उन्होंने आवेदन किया है लेकिन, वह समय अवधि बीत जाने के बाद भी उनका प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हो सका अंचल कार्यालय पहुंचने पर कर्मियों का भी रवैया बेहद निराशाजनक होता है. सिविल लाइंस मोहल्ले के रहने वाले संतोष दूबे बताते हैं कि उन्होंने पारिवारिक सूची बनाने के लिए तकरीबन 1 माह पूर्व आवेदन किया लेकिन, पहले तो उन्हें कई बार दौड़ाया गया बाद में जो पारिवारिक सूची उन्हें निर्गत की गई उसमें उनकी माता रामावती देवी को मृत दिखा दिया गया जबकि, वह जीवित तथा पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. ऐसे में दोबारा जब वह कार्यालय पहुंचे तो उन्हें फिर आज और कल कह कर दौड़ाया जा रहा है.

प्रमाण पत्र के नाम पर हो रहा आर्थिक दोहन:

पांडेय पट्टी के रहने वाले संतोष ओझा बताते हैं कि अपने एक परिचित के आवासीय प्रमाण पत्र के लिए वह तथा उनके परिचित कई दिनों तक कार्यालय का चक्कर काटते रहे. पहले तो उनका आवेदन लिया ही नहीं गया और कहा गया कि वह साइबर कैफे में जाकर ऑनलाइन आवेदन कर दें. वहां पहुंचने पर उनसे 50 रुपये ऑनलाइन आवेदन करने के लिए लिए गए. बाद में जब तकरीबन 15 दिन बाद भी उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिला तो वह दोबारा कार्यालय पहुंचे जहां पहुंचने पर उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला. कार्यालय में मौजूद अन्य लोगों से बात करने पर यह ज्ञात हुआ की 100 या 200 रुपये खर्च करने पर  उन्हें प्रमाण पत्र तुरंत मिल जाएगा. जब उन्होंने इस बात की शिकायत कार्यालय में मौजूद अन्य कर्मियों से तो उन्होने किसी तरह होने का प्रमाण पत्र बनवा दिया गया.

अंचल कार्यालय के नाम पर पांच परिचारी, पर काम पर एक:

नाम न छापने की शर्त पर एक कार्यालय कर्मी ने बताया कि अंचल कार्यालय में पांच परिचारी नियुक्त हैं लेकिन, उन में से चार की प्रतिनियुक्ति दूसरे विभागों में कर दी गयी है। ऐसे में वह तनख्वाह तो अंचल कार्यालय से लेते हैं लेकिन, ड्यूटी कहीं और बजाते हैं. इस प्रकार अंचल कार्यालय में वास्तविक रूप से केवल एक परिचारी ही है जो कार्य कर रहे हैं. इस कारण अतिक्रमण से संबंधित नोटिस पहुंचाना तथा कार्यालय से जुड़े अन्य कार्यों के निष्पादन में देरी होती है. दूसरी तरफ कार्यालय में आठ लिपिक पूर्व में नियुक्त थे लेकिन, वर्तमान में यहां पर केवल 4 लिपिक ही हैं. इसके अलावे कार्यालय में जो कार्यपालक सहायक आरटीपीएस काउंटर पर कार्य करते हैं वही, बाद में कार्यालय के टाइपिंग तथा अन्य कार्यो को भी निष्पादित करते हैं. ऐसे में वह भी अत्यधिक तनाव में रहते हैं तथा कार्य भी प्रभावित होता है.

कहती है अंचलाधिकारी:

कार्यालय में निश्चय ही कर्मियों की कुछ कमी है लेकिन, कार्य निष्पादन में सदर अंचल पीछे नहीं है. सभी कार्यों का निष्पादन त्वरित गति से हो रहा है. फिर भी यदि किसी को कोई दिक्कत है तो वह उनसे सीधे अपनी बात कह सकते हैं.

प्रियंका राय
अंचलाधिकारी






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