हमने नगर के कई प्रबुद्ध जनों राजनीतिक हस्तियों तथा सरकारी सेवकों से यह जानने की कोशिश की कि हमारा देश कब आजाद हुआ था किस की गुलामी से आजाद हुआ था और लगभग कितने वर्षों तक हम गुलाम रहे आश्चर्य की बात यह है कि इस विषय पर सबके मत अलग-अलग है इतना ही नहीं कई लोगों ने तो इतिहास की तारीखों को भी बदल दिया. इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जो देश के विकास का दावा करते हैं तथा सत्ता में अपनी भागीदारी चाहते हैं.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया. आजाद देश के नागरिकों से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह शहीदों की जान के कीमत पर ली गई आजादी को जतन से सहेज कर रखेंगे. यहां आजादी के जश्न में डूबे तो सभी हैं लेकिन आजादी कब, क्यों और कैसे मिली यह बताना उनके लिए बेहद मुश्किल साबित हो रहा है. हालांकि, ऐसा सभी के बारे में नहीं कहा जा सकता. क्योंकि कई लोग शहीदों के बलिदान से हासिल की गई इस आजादी को पूर्ण रूप से आत्मसात किया है. हमने नगर के कई प्रबुद्ध जनों राजनीतिक हस्तियों तथा सरकारी सेवकों से यह जानने की कोशिश की कि हमारा देश कब आजाद हुआ था किस की गुलामी से आजाद हुआ था और लगभग कितने वर्षों तक हम गुलाम रहे आश्चर्य की बात यह है कि इस विषय पर सबके मत अलग-अलग है इतना ही नहीं कई लोगों ने तो इतिहास की तारीखों को भी बदल दिया. इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जो देश के विकास का दावा करते हैं तथा सत्ता में अपनी भागीदारी चाहते हैं. काफी प्रयास करने के बाद भी यह नहीं समझ में आया कि क्या हम अपनी आजादी का मतलब समझ पाए हैं? फिलहाल इससे ज्यादा बताने की स्थिति नहीं बन पा रही है. ऐसा लगता है कि अलग-अलग जवाबों को सुनने के बाद हम स्वयं ही दिग्भ्रमित हो गए हैं कि अब तक इतिहास की किताबों में जो पढ़ाया गया क्या वह गलत था? सभी दर्शकों से यह आग्रह है कि वह कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य रखें और अगर यह वीडियो पसंद नहीं आया तो अपनी राय जरूर रखें.
जय हिंद !
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