जल निकासी के नाम पर रेलवे ने 1 के जगह 10 लाख किया खर्च, समस्या जस की तस ..

न्यायालय के द्वारा आदेश दिए जाने के पश्चात रेलवे के अधिकारियों की नींद खुली और रेलवे लाइन के किनारे किनारे प्रस्ताव दिया गया जिससे कि पांडेय पट्टी से पानी निकल कर कर ठोरा नदी की तरफ जा सके. रेलवे के अधिकारियों के द्वारा इसके लिए सवा करोड़ रुपये की योजना बनाई गई लेकिन, उस पर पहल नहीं हो सकी. 







- पांडेय पट्टी से जल निकासी का मामला
- रेलवे के अधिकारियों पर लग रहे पैसे के अपव्यय के आरोप

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पांडेय पट्टी में हुए जलजमाव को दूर करने के नाम पर रेलवे के अधिकारियों के द्वारा तकरीबन 10 लाख रुपये का खर्च कर जल निकासी का प्रबंध किया गया लेकिन, जल निकासी फिर भी नहीं हो सकी. ऐसे में स्थानीय लोगों के द्वारा रेलवे के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए हैं. उनका कहना है कि 10 लाख रुपये में कच्चा नाला बनाना कहीं भी प्रासंगिक नहीं लगता. सबसे खास बात यह है कि नाला निर्माण के बाद भी जल निकासी नहीं हो रही है. स्थानीय निवासी मकरध्वज पांडेय का कहना है कि पटना उच्च न्यायालय के द्वारा आदेश दिए जाने के पश्चात रेलवे के अधिकारियों की नींद खुली और रेलवे लाइन के किनारे किनारे प्रस्ताव दिया गया जिससे कि पांडेय पट्टी से पानी निकल कर कर ठोरा नदी की तरफ जा सके. रेलवे के अधिकारियों के द्वारा इसके लिए सवा करोड़ रुपये की योजना बनाई गई लेकिन, उस पर पहल नहीं हो सकी. इसी बीच रेलवे के अधिकारियों के द्वारा अस्थाई रूप से नाली निर्माण शुरू किया गया और बताया गया कि तकरीबन 10 लाख रुपये का खर्च इसमें हुआ है लेकिन, इस नाले निर्माण के बावजूद अब तक जल निकासी की समस्या हल नहीं हो सकी. जबकि कच्चा नाला बनाने के लिए अधिकतम 1 लाख रुपये का खर्च होना चाहिए था.




संजय कुमार बताते हैं कि जल निकासी के लिए पांडेय पट्टी की मुख्य सड़क को खोदकर उसमें ह्यूम पाइप डाला गया था लेकिन, उसके बाद फिर सड़क को भी जैसे-तैसे ही छोड़ दिया गया है, ऐसे में सड़क पर चलने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. रेलवे तथा जिला स्तरीय अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए.

वर्षों से बनी हुई है समस्या नारकीय जीवन जीने को विवश हैं लोग : 

पांडेय पट्टी में जलजमाव की समस्या वर्षों से बनी हुई है. पंचायत के बाद अब जब पांडेय पट्टी नगर परिषद क्षेत्र में शामिल हो गया है फिर भी समस्या जस की तस है. संतोष ओझा बताते हैं कि मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसके आलोक में रेलवे तथा स्थानीय अधिकारियों को आपसी समन्वय से जल निकासी की समस्या को 2 महीने के अंदर दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया था, परंतु समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है. ऐसे में यह सीधे तौर पर न्यायालय की अवमानना का मामला है. बता दें कि लोगों के द्वारा की गई शिकायत पर अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय ने स्वयं कच्चा नाला निर्माण का निरीक्षण किया था तथा नगर परिषद के सिटी मैनेजर को मामले को दुरुस्त करने का निर्देश दिया था.

यह आपदा में घोटाले का अवसर तलाशने जैसा : सौरभ तिवारी 

उधर मामले को लेकर भाजपा नेता तथा पूर्व मध्य रेलवे, दानापुर के रेलवे परामर्श दात्री समिति के सदस्य सौरभ तिवारी ने रेलवे के स्थानीय अभियंता को इस समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि जिस तरह की बातें सामने आ रही है उससे यह आपदा में अवसर का मामला लगता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं नाले का निरीक्षण किया लेकिन, उसका लेबल कहीं भी एक समान नहीं है. ऐसे में जल निकासी होना संभव नहीं है. सौरभ ने बताया कि मामले को लेकर वह भारत सरकार के रेल मंत्री के साथ ही रेलवे बोर्ड के चेयरमैन स्थानीय सांसद सह मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को भी पत्र लिखकर जानकारी देंगे. उन्होंने कहा कि पहले भी यह मामला उनके समक्ष आया था, जिसको लेकर उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की लेकिन अधिकारियों के द्वारा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया.

मामले में जानकारी के लिए रेलवे के आइओडब्ल्यू के बी तिवारी के मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन, उनके द्वारा फोन नहीं उठाने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका.






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