चौपाल : वीडियो : पहले बंदूक के जोर पर होती थी लूट, अब कागज कलम से जनता की हकमारी ..

उन्होंने ईमानदारी से स्वीकारा कि वह नाली बनाकर बेवकूफ बन गए क्योंकि, नाली बनाने के लिए तकरीबन साढे पांच लाख रुपये की राशि खर्च हो गई लेकिन, मौखिक रूप से सहमति देने के बाद बाद लोगों के द्वारा अपनी जमीन से नाली निकालने के लिए लिखित रूप से एनओसी नहीं दिया गया, जिसके कारण नाली का काम बीच में ही रुक गया.





वीडियो - 1 :

- चौपाल कार्यक्रम में जनता ने खुल कर रखी अपनी बातें 
- वार्ड सदस्य ने कहा ग्रामीणों ने बना दिया बेवकूफ


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर :  राजपुर प्रखंड के देवढ़िया पंचायत में विकास के कार्य तो हुए हैं लेकिन, जनता उनसे संतुष्ट नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि पहले आम जनता बंदूक के बल पर लूटी जाती थी, लेकिन अब लूट कागज और कलम से होती है. विकास के लिए जो योजनाएं बनाई जाती हैं वे धरातल पर उतर नहीं पाती और कागजों में उनके नाम पर पैसों की निकासी भी हो जाती है. बक्सर टॉप न्यूज़ के चौपाल के मंच पर जब बोलने का मौका मिला तो ग्रामीणों ने बेबाकी से अपने पंचायत की तस्वीर रखी.

आठ गांवों तथा तकरीबन 10 हज़ार की आबादी वाला यह पंचायत प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन पांच किलोमीटर दूर है. पंचायत के स्थानीय गांव में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर और पोखर भी है लेकिन, उसकी ऐतिहासिकता धीरे-धीरे अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ते जा रही है. पिछली सरकारों तथा जनप्रतिनिधियों के द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार के संदर्भ में कई दावे और वादे किए गए लेकिन, उनमें से पूरे एक भी नहीं हुए. जनता का मानना है कि विकास की रोशनी से यह पंचायत अब भी अछूता है.



स्थानीय निवासी रामअवध तथा जोखन साह ने बताया कि यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है. स्कूल बना दिए गए हैं लेकिन, वह नियमित रूप से नहीं खुलते. राशन तो मिल रहा है लेकिन जलापूर्ति और बिजली गायब है. ग्रामीण संतोष कुमार की माने तो यहां बच्चों के खेलने के लिए जो मैदान बनाया गया है वह दुर्दशा का शिकार है. ऐतिहासिक पोखर मनुष्यों तो छोड़िए पशुओं के स्नान के लायक भी नहीं है. एक-दो घरों छोड़कर किसी भी घर में नियमित जलापूर्ति नहीं हो पाती. शिव मुनि साह बताते हैं कि कागज में तो काम पूरा हुआ है लेकिन, धरातल पर ना तो अब तक नालियां पूरी बन पाई हैं और ना ही सड़कों का निर्माण सही ढंग से हुआ है. शिकायत करने पर भी कोई सुनता नहीं. जय प्रकाश सिंह बताते हैं कि सड़कों पर नालियों का पानी सालों भर जमा रहता है वहीं, बच्चों के स्कूल जाने के रास्ते पर कीचड़ पसरा हुआ है. स्कूल की बाउंड्री नहीं होने के कारण बच्चों के बीच असुरक्षा की भावना बनी रहती है.



ग्रामीण मृत्युंजय तिवारी बताते हैं कि स्थानीय डीलर खाद्यान्न का वितरण तो करते हैं लेकिन, स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पाती शिक्षक आते हैं तो केवल गेम खेलते हैं और बच्चे घूमते रहते हैं. संजय राम बताते हैं कि राशन कार्ड बनाने के दौरान कई पात्र लोगों के नाम भी काट दिए गए हैं और वैसे लोग जो सक्षम है उनके नाम राशन लाभार्थियों की सूची में जोड़ा हुआ है.


ऐतिहासिक सूर्य मंदिर की हो रही अनदेखी :

ग्रामीण संतोष कुमार, दिवाकर तिवारी तथा स्थानीय पत्रकार अरविंद तिवारी ने बताया कि यहां ऐतिहासिक सूर्य मंदिर है जिसके साथ एक पोखर भी है. कहा जाता है कि पोखर अंदर सात कुएं हैं. पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर के के तिवारी मंत्री रहते हुए यहां आए थे उन्होंने पोखर की दुर्दशा देखकर जल हाथ में लेकर यह प्रण लिया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वह पोखर और मंदिर का जीर्णोद्धार करेंगे लेकिन, दुर्भाग्यवश वह जीते नहीं और विकास का काम नहीं हो सका. पूर्व विधायक संतोष निराला भी कभी पोखर और मंदिर के जीर्णोद्धार में कोई पहल नहीं कर सके. विधायक विश्वनाथ राम तो जीतने के बाद यहाँ एक बार भी नहीं आए. उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम भी कई बार यहां पर आ चुकी है लेकिन, अब तक पोखर और मंदिर के जीर्णोद्धार के संदर्भ में कोई रचनात्मक कार्य नहीं हो सका.


बिजली बिल जमा नहीं होंने से बंद है जलापूर्ति :

जनता के सवालों का जवाब देते हुए स्थानीय वार्ड सचिव मोहन कुमार यादव बताते हैं कि, जलापूर्ति के लिए प्रीपेड मीटर लगा हुआ है जिसको हर महीने रिचार्ज करने के बाद ही बिजली मिलती है और जलापूर्ति हो पाती है लेकिन, ग्रामीण जनता के द्वारा निर्धारित 30 रुपये महीने का शुल्क भी नहीं दिया जाता, जिसके कारण जलापूर्ति नियमित नहीं हो पाती अब तक 3 महीने का बिजली बिल 2 हज़ार 652 रुपये बाकी है. जिसके कारण बिजली कनेक्शन कट चुका है और जलापूर्ति बंद हो गई है. उन्होंने ईमानदारी से स्वीकारा कि वह नाली बनाकर बेवकूफ बन गए क्योंकि, नाली बनाने के लिए तकरीबन साढे पांच लाख रुपये की राशि खर्च हो गई लेकिन, मौखिक रूप से सहमति देने के बाद बाद लोगों के द्वारा अपनी जमीन से नाली निकालने के लिए लिखित रूप से एनओसी नहीं दिया गया, जिसके कारण नाली का काम बीच में ही रुक गया.

वीडियो - 2 : 






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