वीडियो : रामलीला में दूसरे दिन मनु शतरूपा प्रसंग का हुआ मंचन रावण उसके भाइयों का हुआ जन्म ..

इसके बाद कालांतर में देवर्षि नारद दोनों भाइयों को राक्षस हो जाने का श्राप देते हैं, जिसके बाद दोनों भाई रावण और विभीषण के साथ ही कुम्भकरण के रूप में विख्यात हुए. जहां ब्रम्हाजी उनलोगों की तपस्या से प्रसन्न होकर अमरता का वरदान देते हैं. अमरता प्राप्त करते ही रावण और कुम्भकरण आम जनता के उपर नाना प्रकार के अत्याचार करने में लीन हो जाते हैं.

 






- किला मैदान में आयोजित है 11 दिवसीय रामलीला व रासलीला
- माइक का साउंड कम पुराने पहुंचे डीडीसी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : कोरोना संक्रमण काल के बाद एक बार फ़िर रासलीला व रामलीला का मंचन किला मैदान में किया जा रहा है. मंचन के दौरान सुबह में कृष्णलीला का आयोजन हुआ जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग दिखाया गया. मंचन के माध्यम से यह प्रदर्शित किया गया कि मथुरा के राजा कंस का अत्याचार अपने चरम पर पहुंच गया था. दुष्ट कंस ने अपनी बहन देवकी के साथ अपने जीजा वासुदेव को भी कारागार में डाल दिया था. शर्त के अनुसार देवकी के प्रथम बालक के जन्म के बाद वासुदेव जी अपने पुत्र को लेकर कंस के दरबार में जाते हैं. जहां कंस उसे अपना काल समझते हुए नारद के कहने पर मार डालता है. इस प्रकार से देवकी के छ: पुत्रों की हत्या के बाद सातवां गर्भ को भगवान ने अपनी माया से रोहणी के उदर में पहुंचा दिया जबकि, आठवें बालक के रूप में स्वयं भगवान कृष्ण के रूप में प्रकट होकर देवकी और वासुदेव से गोकुल पहुंचा देने को कहा जहां भगवान की माया कन्या स्वरूप में प्रकट हुई है. इस दौरान कारागार के सारे दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं और पहरेदार गहरी निद्रा में लीन हो जाते हैं. इस प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है और गोकुल में बधाइयां बजने लगती हैं. वहीं, दूसरी ओर संध्या समय आयोजित रामलीला के अंतर्गत शुक्रवार को मनुसतरूपा रावण तपस्या का कलाकारों ने सफल मंचन कर दर्शकों का मन मोह लिया. प्रस्तुत प्रसंग के अंतर्गत दिखाया जा रहा है कि अयोध्या के राजा मनु को राजपाट संभालते काफी दिन बीत जाते हैं. उसके बाद अपने पुत्र को सारा राजपाट सौंप कर वन में तपस्या करने चले जाते हैं. वहां तपस्या के दौरान भगवान साक्षात उनके सामने प्रकट होते हैं और पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं. इसके बाद कालांतर में देवर्षि नारद दोनों भाइयों को राक्षस हो जाने का श्राप देते हैं, जिसके बाद दोनों भाई रावण और विभीषण के साथ ही कुम्भकरण के रूप में विख्यात हुए. जहां ब्रम्हाजी उनलोगों की तपस्या से प्रसन्न होकर अमरता का वरदान देते हैं. अमरता प्राप्त करते ही रावण और कुम्भकरण आम जनता के उपर नाना प्रकार के अत्याचार करने में लीन हो जाते हैं.

बता दें कि 11 दिवसीय रामलीला 18 अक्टूबर तक आयोजित है जिसमें रावण के पुतला दहन के आयोजन पर प्रशासन के द्वारा रोक लगाई गई है. उधर शुक्रवार को उप विकास आयुक्त डॉ योगेश कुमार सागर किला मैदान में पहुंचे और उन्होंने रामलीला के साउंड बॉक्स था माइक से निकलने वाली ध्वनि को नियंत्रण में रखने का निर्देश दिया जिसके बाद साउंड को कम किया गया.











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