बताया कि पीड़ित महिला को बतौर मुआवजा 8 लाख 25 हज़ार रुपये की धनराशि प्राप्त हो चुकी है. इसी बीच लोक अपर अभियोजक के द्वारा यह कह दिया गया था कि महिला ने मामले में समझौता कर लिया है लेकिन, कुछ दिन पूर्व पुनः महिला के द्वारा कार्यालय में संपर्क कर यह बताया गया कि समझौते की बात बेबुनियाद है.
- 2 साल पूर्व चौकी थाना क्षेत्र के एक गांव में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी महिला, मासूम की हुई थी हत्या
- महिला ने बताया, मुआवजे की राशि के लिए लगातार कार्यालय का लगा रही है चक्कर
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : मुरार थाना क्षेत्र के एक गांव में विवाहिता के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म तथा उसके बच्चे की हत्या कर दिए जाने के मामले में तकरीबन दो साल बीत जाने के बाद भी पीड़िता को मुआवजे की पूरी राशि नहीं मिलने के विरोध में भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष अनिल प्रधान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जिला कल्याण पदाधिकारी के कार्यालय में तालाबंदी की. इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए जिलाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि वर्ष 2020 में महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था.
उसके पुत्र की हत्या भी नामजद अभियुक्तों के द्वारा कर दी गई थी. इस मामले में महिला को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत साढ़े 16 लाख रुपये की राशि बतौर क्षतिपूर्ति दी जानी थी लेकिन, अब तक केवल 8 लाख 25 हज़ार रुपये की राशि महिला को मिल सकी है. पीड़ित महिला पिछले दो साल से लगातार कल्याण पदाधिकारी के कार्यालय के चक्कर लगा रही है लेकिन, उसकी सुनवाई नहीं हो रही.
इसी बीच अपर लोक अभियोजक के द्वारा भी कल्याण पदाधिकारी को यह कह भ्रमित किया जा रहा है कि पीड़िता ने दुष्कर्म और हत्यारोपियों के साथ समझौता कर लिया है. इसी बात को लेकर कार्यालय में तालाबंदी की गई है और अगर बात अब भी नहीं बनी तो मामले में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
इस मामले में जिला कल्याण पदाधिकारी जे एस पांडेय ने बताया कि पीड़ित महिला को बतौर मुआवजा 8 लाख 25 हज़ार रुपये की धनराशि प्राप्त हो चुकी है. इसी बीच लोक अपर अभियोजक के द्वारा यह कह दिया गया था कि महिला ने मामले में समझौता कर लिया है लेकिन, कुछ दिन पूर्व पुनः महिला के द्वारा कार्यालय में संपर्क कर यह बताया गया कि समझौते की बात बेबुनियाद है. ऐसे में पिछले माह की 25 तारीख को जिला पदाधिकारी के समक्ष इस बात को रखा गया जिसके बाद उनके निर्देश पर एक प्रखंड स्तरीय जांच कमेटी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह मामले की जांच कर उन्हें रिपोर्ट दे. जांच को प्राप्त होते ही आवश्यक कार्यवाही करते हुए मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाएगा.
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