भागवत का मर्म समझने के बाद कुछ भी समझना नहीं रहता शेष : आचार्य

कहा कि जो बाहर से सफेद नजर आते हैं और अंदर से कलुषित एवं संकीर्ण विचार से भरे रहते हैं. ये सफेदपोश बहुरूपिए से समाज को ईश्वर ही बचा सकते हैं. 






- श्रीमद्भागवत के माध्यम से समाज में फैले बकासुर नामक सफेदपोशों पर प्रहार
- कोपवां में मां काली की प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ को लेकर भक्ति का माहौल कायम
 
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणियों के मन के विकार दूर हो जाते हैं. समर्पण भाव से ही प्रभु मिलते हैं. श्रीमद् भागवत कथा समस्त वेद वेदांगों का सार है. यह वेद रूपी कल्पवृक्ष का मधुर पके हुए फल के समान है. भागवत कथा के मर्म को समझने के बाद मनुष्य को कुछ भी समझना शेष नहीं रह जाता है. यह उक्त बातें डुमरांव अनुमंडल क्षेत्र के कोपवां गांव में मां काली की प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के दौरान चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य पंडित सुरेश प्रसाद द्विवेदी ने कही. 



उन्होंने श्रद्धालुओं को संगीतमय भागवत कथा का रसपान कराते हुए भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाए गए. आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर धर्म व सत्य की रक्षा के लिए द्वापर युग में अवतार लिया. उन्होंने बाल्यावस्था में ही कालिया नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया. पूतना और बकासुर आदि मायावी शक्तियों का अंत किया. बृजभूमि में आतंक के पर्यायी कंस मामा का वध करके अपने माता-पिता देवकी-वासुदेव और नाना महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया. उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए बकासुर नामक असुर को भेजा गया जो बगुले का वेश धारण कर भगवान को धोखे से मारना चाहता था.


श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से आचार्य ने समाज में फैले बकासुर नामक सफेद लोगों पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि जो बाहर से सफेद नजर आते हैं और अंदर से कलुषित एवं संकीर्ण विचार से भरे रहते हैं. ये सफेदपोश बहुरूपिए से समाज को ईश्वर ही बचा सकते हैं. 
 

        
कोपवां गांव में मां काली की प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ अवधि में प्रतिदिन संगीतमय श्रीमद्भगवत कथा के साथ ही नामी-गिरामी कलाकारों के द्वारा भजन कीर्तन और देवी जागरण से श्रद्धालु भक्तजन मंत्रमुग्ध हो रहे हैं. इस धार्मिक अनुष्ठान लेकर मां काली मंदिर निर्माण समिति के साथ सही पूरे गांव के ग्रामीण श्रद्धालुओं में श्रद्धा भक्ति और उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है.

















 














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