रामोपट्टी गांव में मनीषा की इस उपलब्धि से उत्सव का माहौल है. उनके पति के दादा नथुना पांडेय ने अपनी पौत्र वधु की सफलता पर खुद को गौरवांवित बताया है. इसे साथ ही मनीषा के मायके में भी हर्ष व्याप्त है.
बेटी के साथ मनीषा |
- सिमरी प्रखंड के रामोपट्टी गांव निवासी नथुना पांडेय की पौत्र वधू हैं मनीषा
- वर्तमान में भागलपुर में करती हैं वकालत की प्रैक्टिस
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के सिमरी प्रखंड के रामोपट्टी गांव की बहू कुमारी मनीषा ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में 11वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है. शादी के 16 साल बाद भी पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि और समर्पण ने उन्हें यह सफलता दिलाई. उन्होंने पहली ही कोशिश में न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर मुंसिफ मजिस्ट्रेट का पद हासिल किया है.
परिवार की प्रेरणा बनी सफलता की कुंजी :
मनीषा रामोपट्टी निवासी नथुना पांडेय की पौत्र वधु और स्व. ब्रज किशोर पांडेय की पुत्र वधु हैं. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय पति राजेश पांडेय, पिता ओमप्रकाश पांडेय, मां धर्मशीला देवी और पूरे ससुराल परिवार को दिया. उनके ससुर उन्हें हमेशा न्यायिक सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते थे और चाहते थे कि वह जज बनें.
शिक्षा और करियर का सफर :
मनीषा ने भागलपुर जिले के शेरमारी स्थित चंपा देवी बालिका गर्ल्स हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. इसके बाद एसएम कॉलेज से ग्रेजुएशन और टीएनबी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने भागलपुर में अधिवक्ता प्रेम ओझा के अधीन वकालत का अभ्यास किया.
पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ पढ़ाई :
मनीषा ने अपनी 15 वर्षीय बेटी आरुषि और बेटे की देखरेख के साथ पढ़ाई जारी रखी. उनका यह संघर्ष और मेहनत आज साकार हुआ है. उनके पति राजेश पांडेय कोलकाता में व्यवसाय करते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को हर कदम पर सहयोग दिया.
परीक्षा प्रक्रिया और परिणाम :
32वीं बिहार न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा 25 से 29 नवंबर 2023 तक आयोजित की गई थी, जबकि साक्षात्कार 12 से 23 नवंबर 2024 के बीच हुए. पहली बार में ही सफलता हासिल कर मनीषा ने सभी को गर्वित किया है.
गांव और परिवार में खुशी का माहौल :
रामोपट्टी गांव में मनीषा की इस उपलब्धि से उत्सव का माहौल है. उनके पति के दादा नथुना पांडेय ने अपनी पौत्र वधु की सफलता पर खुद को गौरवांवित बताया है. इसे साथ ही मनीषा के मायके में भी हर्ष व्याप्त है. मनीषा के दादा कपिल पांडेय, धीरू पांडेय और चाचा सुधीर पांडेय ने बताया कि बचपन से ही मनीषा का सपना जज बनने का था. उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है.
महिला सशक्तिकरण की मिसाल :
मनीषा की यह सफलता महिलाओं के लिए प्रेरणा है कि विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद पढ़ाई और करियर में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है. उनकी यह उपलब्धि रामोपट्टी और जिले के लिए गर्व का विषय है.
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