कभी रॉबिन हुड के नाम से विख्यात पूर्व डीजीपी ने कथा वाचक के रूप में भी जारी रखा है समाज सुधार अभियान ..

युवाओं को नशे से दूर करने का महाअभियान चलाने वाले गुप्तेश्वर जी महाराज अब भी समाज सुधार का अभियान चला रहे हैं. जिले के राजपुर प्रखंड के मनिया गांव में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग के दौरान भी कई बार वह लोगों से सामाजिक सौहार्द कायम रखने तथा दुर्गुणों को त्यागने की बात कहते नज़र आएं. 







- श्रीमद्भागवत कथा के दौरान लोगों से कर रहे आपसी सद्भाव व सदाचार की अपील
- श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंगों से सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की कोशिश


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : कभी रॉबिन हुड के नाम से चर्चित पूर्व डीजीपी तथा वर्तमान में कथा वाचक गुप्तेश्वर पांडेय उपाख्य भाई गुप्तेश्वर जी महाराज ने नौकरी में रहते हुए जो समाज सुधार का बीड़ा उठाया था वह अब भी जारी है. युवाओं को नशे से दूर करने का महाअभियान चलाने वाले गुप्तेश्वर जी महाराज अब भी समाज सुधार का अभियान चला रहे हैं. जिले के राजपुर प्रखंड के मनिया गांव में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग के दौरान भी कई बार वह लोगों से सामाजिक सौहार्द कायम रखने तथा दुर्गुणों को त्यागने की बात कहते नज़र आएं. 

कथा वाचक भाई गुप्तेश्वर ज़ी महाराज के श्रीमुख से अमृतमयी कथा का रसपान करने हजारों भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा. कथा के आखिरी दिन कि कथा मे भगवत आनंद की बारिश हुई. भाई श्री गुप्तेश्वर महाराज की कथा शैली ने सबका मन मोह लिया. कथा के दौरान कथावाचक श्री गुप्तेश्वर भाई ने कई रोचक प्रसंग सुनाएं और मधुर स्वर में भक्ति गीत गाकर सबको झुमा दिया. 




कथा प्रसंग में उन्होंने कहा कि भगवान का प्रथम विवाह रुक्मणि से हुआ इसी प्रकार से भगवान ने 16 हज़ार 108 विवाह किए. एक बार भगवान सुधरमा सभा में बैठे थे उसी समय जरासंध की कैद खाने में बंद 20 हज़ार 800 राजाओं के दूत आए और भगवान से उन राजाओं को मुक्त कराने की प्रार्थना की. उसी समय पांडवों के राजसूय यज्ञ का निमंत्रण लेकर नारद जी भगवान के पास आएं. उद्धव जी से परामर्श लेकर भगवान पहले पांडवों के यहां गए पांडवों ने भगवान का स्वागत किया. भगवान भीम और अर्जुन को साथ लेकर विप्र वेश बना कर जरासंध के पास गए. जरासंध ने कहा कि आप अपना परिचय दीजिए भगवान ने कहा यह भीमसेन है और दूसरे उनके भाई अर्जुन. जरासंध ने कहा आप कौन हैं? भगवान ने कहा मुझे शत्रु का विनाशक कृष्ण जानो. जरासंध ने कहा तुम भगोड़े हो कृष्ण, मैं तुम्हारे साथ युद्ध नहीं कर सकता और अर्जुन तो दो हड्डी का है वह क्या लड़ेगा?  

यह सुनकर भीमसेन को अभिमान हो गया. 27दिन चले युद्ध में भीमसेन की नस-नस ढीली हो गई. 28 वें दिन थक-हारकर उन्होंने भगवान की ओर देखा, तब भगवान ने तिनके को दो भाग में चीर दिया यह इशारा पाकर भीम ने भी तुरंत जरासंध को दो भागों में चीर दिया.


आगे के प्रसंग में उन्होंने बताया कि शिशुपाल ने भगवान को सौ गालियां दी. अतः भगवान ने चक्र से शिशुपाल का उद्धार किया. श्री भाई जी ने बहुत ही सरल ढंग से सुदामा चरित्र का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि सुदामा गरीब थे लेकिन दरिद्र नहीं थे.

















 














Post a Comment

0 Comments