वीडियो : प्रेम व भाइचारे के साथ मनी बकरीद, मस्जिदों में सुबह से ही जमा हुए नमाजी..

ईद उल-अजहा खुशी और शांति का अवसर है, जो सभी लोग अपने परिवारों के साथ मनाते हैं. उन्होंने तमाम लोगों को इस त्यौहार की मुबारकबाद दी और कहा कि और भी खुशी की बात यह है कि सबसे बड़े कब्रिस्तान दूध पोखरी कब्रिस्तान में लोग जुटे और उन्होंने नमाज अता की. यहां बेहतरीन इंतजामात किए गए थे.  






- कुर्बानी के त्यौहार को लेकर लोगों में खुशी का माहौल
- एक दूसरे को लोग दे रहे हैं मुबारकबाद, सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : "हिंद के रहनुमाओं सुनो इस वतन में अमन चाहिए .. जान जाए कहीं भी मेरी पर इस वतन का कफन चाहिए.. मुझको अपना वतन चाहिए .."  "अमन" की जरूरत है, "अमान" की जरूरत है, जिसे सींचा है हिंदी लोगों ने अपने खून से, उस चमन की जरूरत है .."  यह पंक्तियां प्रसिद्ध शायर व समाजसेवी साबित रोहतासवी ने ईद उल अजहा (बकरीद) के अवसर पर दूध पोखरी कब्रिस्तान में नमाज अता करने के बाद कही. उन्होंने कहा कि आज की नमाज के दौरान उन्होंने अल्लाह से यह दुआ की कि वह आज के परिवेश में देश में अमन चैन व शांति लाए जब नूपुर शर्मा विवाद की आग में पूरा देश जल रहा है. उन्होंने इस विवाद पर अपने शेर "कौन हिंदू है यहां कौन है मुस्लिम साबित, कौन इंसा है यहां खुद को बताना होगा .. मेरे महबूब तुझको सबको गले से लगाना होगा .." से लोगों को मिलजुल कर रहने की प्रेरणा दी. 

कुर्बानी के त्योहार ईद उल अजहा (बकरीद) जिले में हर्षोल्लास के माहौल में मनाया जा रहा है. अलग-अलग मस्जिदों में सुबह 6:45 से लगातार लोग नमाज अता कर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं. बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे तथा सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी लोगों को त्यौहार की बधाई दी है. जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. सदर अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गोरख राम, प्रखंड विकास पदाधिकारी दीपचंद जोशी, नगर थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार तथा तमाम पुलिस बल विभिन्न मस्जिदों तथा विभिन्न चौक चौराहों पर मुस्तैद देखे गए. जिले के अन्य इलाकों में भी संबंधित प्रखंडों के प्रखंड विकास पदाधिकारी थानाध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारी भी भ्रमणशील देखे गए.


बक्सर की जामा मस्जिद के सचिव मो एजाज तथा मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के सचिव डॉ निसार अहमद ने बताया कि ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर रविवार को विभिन्न मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए नमाजी इकट्ठा हुए. उन्होंने बताया कि ईद-उल-अजहा एक पवित्र अवसर है, जिसे 'बलिदान का त्योहार' भी कहा जाता है. इस त्योहार को धू उल-हिज्जाह के 10 वें दिन मनाया जाता है, जो इस्लामी या चांद कैलेंडर का बारहवा महीना होता है. यह सालाना हज यात्रा के अंत का प्रतीक है. हर साल, तारीख बदलती है क्योंकि यह इस्लामिक कैलेंडर पर आधारित है, जो पश्चिमी 365- दिनों के ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 11 दिन छोटा है.


समाजसेवी साबित रोहतासवी तथा प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर दिलशाद आलम बताते हैं कि ईद उल-अजहा खुशी और शांति का अवसर है, जो सभी लोग अपने परिवारों के साथ मनाते हैं. उन्होंने तमाम लोगों को इस त्यौहार की मुबारकबाद दी और कहा कि और भी खुशी की बात यह है कि सबसे बड़े कब्रिस्तान दूध पोखरी कब्रिस्तान में लोग जुटे और उन्होंने नमाज अता की. यहां बेहतरीन इंतजामात किए गए थे.  इस दौरान सभी पुरानी शिकायतों  और गिले - शिकवों को दूर करते हैं और एक दूसरे के साथ बेहतर संबंध बनाते हैं. यह पैगंबर अब्राहम की ईश्वर के लिए सब कुछ बलिदान करने की इच्छा के यादगार त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व का इतिहास लगभग 4,000 साल पहले का है जब अल्लाह पैगंबर अब्राहम के सपने में प्रकट हुए थे और उनसे उनकी सबसे ज्यादा प्यारी चीज का बलिदान देने के लिए कह रहे थे.

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