वीडियो : नई सरकार बनने के बाद शराबबंदी पर उठ रहे सवालों के बीच लोगों ने रखी बेबाक राय ..

सामाजिक सुधार के लिए शराबबंदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बेहतर फैसला है हालांकि, कोई भी कानून जब बनता है तो उसके विरुद्ध भी आवाज उठने लगती है उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के इस देश में उन पर भी अंगुली उठाने वाले लोगों की कमी नहीं है लेकिन, सच्चाई यह है कि शराब कभी भी दूध का स्थान नहीं ले सकती. 



-  ज्यादातर लोग शराब बंदी के पक्ष में पर, नियमों में लचीलापन लाने की मांग
- शराबबंदी को गलत बताने वाले लोगों ने भी गिनाए नुकसान

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर सूबे में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से ही इसको लेकर लोगों के बीच मतभेद की बात सामने आती रहती है. इसी बीच जब से नई सरकार का गठन हुआ है लोगों के बीच यह चर्चा जोरों-शोरों से चल रही है कि क्या शराब बंदी कानून को खत्म कर दिया जाएगा? 

ऐसे में यह सवाल भी प्रासंगिक हो जाता है कि क्या शराब बंटी को खत्म कर देना चाहिए? सवाल यह भी है कि शराबबंदी होते हुए क्या इस कानून का अनुपालन वास्तविक ढंग से हो पा रहा है या फिर केवल कागजी खानापूर्ति हो रही है? हमने इन दोनों सवालों को लेकर लोगों बातचीत की और यह जानने का प्रयास किया कि उनकी राय क्या है?

इन दोनों सवालों के अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग जवाब दिए हालांकि अधिकतम लोगों ने शराबबंदी कानून को सही बताया लेकिन कानून में कुछ सुधार की आवश्यकता बताई. 



शुभम कुमार ठाकुर

स्थानीय निवासी तथा विजिट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर शुभम कुमार ठाकुर का कहना है कि शराबबंदी स्वास्थ्य और पैसे दोनों के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी होने से जहां राज्य को राजस्व की क्षति हो रही है वही विकास योजनाएं भी प्रभावित हो रही है. इतना ही नहीं शराबबंदी होने के कारण लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं. ऐसे में शराबबंदी कानून को ही खत्म कर देना चाहिए. 
सतीश कुमार

कंप्यूटर सेल्स एंड सर्विस शॉप चलाने वाले सतीश कुमार कहते हैं कि शराबबंदी कानून बिल्कुल जायज है लेकिन, इसमें जुर्माना लेकर छोड़ने का जो नियम बनाया गया है उसके तहत ऑन द स्पॉट ही लोगों को छोड़ देना चाहिए ताकि, उनके स्वजनों को न्यायालय का अनावश्यक चक्कर न काटना पड़े. 

बबलू ठाकुर कहते हैं कि शराबबंदी कानून पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई. पुलिस पूरी ताकत से अनुपालन कराने का प्रयास तो कर रही है लेकिन, वह हो नहीं पा रहा. अब और भी सहज और सुलभ तरीके से शराब मिल जा रही है. 


इस संदर्भ में उत्पाद अधीक्षक देवेंद्र प्रसाद से बात करने पर उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून से निश्चित रूप से समाज में आमूलचूल परिवर्तन आया है. सामाजिक सुधार के लिए शराबबंदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बेहतर फैसला है हालांकि, कोई भी कानून जब बनता है तो उसके विरुद्ध भी आवाज उठने लगती है उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के इस देश में उन पर भी अंगुली उठाने वाले लोगों की कमी नहीं है लेकिन, सच्चाई यह है कि शराब कभी भी दूध का स्थान नहीं ले सकती. ऐसे में यह कानून जायज है और इसका कठोरता से अनुपालन कराया जाता रहेगा. 

हमारे पाठक शराबबंदी पर क्या सोचते हैं? आप अपनी राय कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.

वीडियो : 
















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