भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने के बाद अब मिला बदबूदार चोखा, बच्चों के जीवन पर खतरा बना एमडीएम ..

दिन में तकरीबन 12:00 बजे पहुंचाए गए भोजन को नियमानुसार विद्यालय के शिक्षक व रसोइए ने चखा भोजन में चोखा खराब हो गया था, जिससे बहुत ही बदबू आ रही थी. ऐसे में बच्चों को भोजन करने से रोक दिया गया. बाद में इस बात की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी से की गई.

 





- दूसरे दिन भी पहुंचाया गया भोजन निकला खराब
- जांच की बात कह मामले को टालने का प्रयास कर रहे अधिकारी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : समाहरणालय के समीप स्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में शुक्रवार को खाने में मरा हुआ मेंढक मिलने के पश्चात शनिवार को पुनः उसी एनजीओ के द्वारा भोजन दिया गया. इस बार भोजन में दिया गया चोखा बासी था, जिससे वे ऐसे में बच्चों ने उसे खाने से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं मौके पर पहुंचे जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी चोखा चखा और उसके खराब होने की पुष्टि की. बावजूद इसके मध्याह्न भोजन के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नाजिश अली अभी भी मामले की जांच करने की बात कह रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें यह संदेह है कि भोजन में मेंढक मिलने की घटना किसी की साजिश हो.  




दरअसल, शनिवार को गजाधर गंज स्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में एक बार फिर एनजीओ के द्वारा मध्यान भोजन पहुंचाया गया दिन में तकरीबन 12:00 बजे पहुंचाए गए भोजन को नियमानुसार विद्यालय के शिक्षक व रसोइए ने चखा भोजन में चोखा खराब हो गया था, जिससे बहुत ही बदबू आ रही थी. ऐसे में बच्चों को भोजन करने से रोक दिया गया. बाद में इस बात की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी से की गई. 

तो क्या अधिकारी कर रहे हैं मामले को दबाने और एनजीओ को बचाने का प्रयास?

विद्यालय के शिक्षक दबी जुबान से यह बता रहे हैं कि अधिकारी इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं. वह यह नहीं चाहते हैं कि एनजीओ पर कोई कार्रवाई हो. ऐसे में वह जांच की बात कह मामले को टालना चाहते हैं. यह सवाल जब डीपीओ नाजिश अली से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह आरोप बेबुनियाद है हालांकि, यह भी सत्य है कि खाने में मेढ़क कैसे आया इस बात की जांच होनी चाहिए. इसमें विद्यालय के प्रधानाध्यापक की भूमिका की जांच भी होनी चाहिए. मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं देने की बात पूछने पर उन्होंने कहा कि इस बात की लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी. डीपीओ ने कहा कि जल्द ही अन्य विद्यालयों की भी जांच होगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई भी होगी. 

बच्चों के सामने आई मुश्किल, प्रशासन के अगले कदम पर टिकी निगाहें

बहरहाल, लगातार एनजीओ के द्वारा खराब भोजन दिए जाने से बच्चों के बीच भय का माहौल व्याप्त हो गया है लेकिन, उनके पास अब केवल दो ही विकल्प बचे हैं या तो वह भोजन करें अथवा नहीं करें. ऐसे यह देखना भी रोचक होगा कि इस मामले की जांच कब तक पूरी हो पाती है और प्रशासन किस पर और क्या कार्रवाई करता है? सवाल यह भी है कि अब यह कैसे सुनिश्चित होगा कि आगामी दिनों में बच्चों को बेहतर भोजन प्राप्त होगा? उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही इन सवालों का जवाब उपलब्ध कराएं और भोजन में दोबारा इस तरह कोई जीव-जंतु नहीं मिले.

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