विद्वान रामप्रसाद भट्ट ने ग्रामीण इतिहास को भारतीय इतिहास लेखन का अनिवार्य पक्ष बताया, वही चर्चित लेखक और जेएनयू से आए देवेंद्र चौबे ने कहा कि ग्रामीण इतिहास, इतिहास लेखन की एक नई दृष्टि है जो इतिहास लेखन की प्रक्रिया में आम जन की स्मृति और उनकी भागीदारी पर जोर देती है.
- वक्ताओं ने कहा उत्तराखंड के गांवों में दर्ज है भारत का असली इतिहास
- क्रिएटिव हिस्ट्री ट्रस्ट द्वारा 10वां मेरा गांव, मेरा इतिहास व्याख्यान संपन्न
बक्सर टॉप न्यूज़, जयहरीखाल : "उत्तराखंड के गांवों के नाम उनके भौगोलिक, सामाजिक और ऐतिहासिक संरचनाओं की तरफ संकेत करते हैं. यहां के गांवों के नामों में आए बदलाव भी उसके सामाजिक तथा विकास के इतिहास की उन प्रक्रियाओं प्रक्रियाओं समझने में मदद करते है जिनका संबंध राष्ट्रीय इतिहास के साथ होता है." ये बातें इतिहासकार और सतपुली गवर्मेंट डिग्री कॉलेज के प्राचार्य संजय कुमार ने 1857 के योद्धा कुंवर सिंह के सम्मान में आयोजित 15 वें व्याख्यान में कहा. इस अवसर पर 10 वां रामायण चौबे स्मृति लोक व्याख्यान देते हुए उत्तराखंड के लोक इतिहासकार जसपाल सिंह बिष्ट ने जहां उत्तराखंड के समाज में लोक देवता की उपस्थिति को रेखांकित किया, वही तीसरा कुमार नयन स्मृति ग्रामीण इतिहास व्याख्यान देते हुए युवा इतिहासकार शिवानी रावत ने ग्रामीण इतिहास लेखन में लोक वार्ता के महत्व पर जोर दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जर्मनी से आए विद्वान रामप्रसाद भट्ट ने ग्रामीण इतिहास को भारतीय इतिहास लेखन का अनिवार्य पक्ष बताया, वही चर्चित लेखक और जेएनयू से आए देवेंद्र चौबे ने कहा कि ग्रामीण इतिहास, इतिहास लेखन की एक नई दृष्टि है जो इतिहास लेखन की प्रक्रिया में आम जन की स्मृति और उनकी भागीदारी पर जोर देती है. प्रारंभ में इतिहासकर रश्मि चौधरी ने "मेरा गांव, मेरा इतिहास" कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया, वही चर्चित रंगकर्मी महेंद्र प्रसाद सिंह ने स्वागत
0 Comments