रेल मंत्री एवं रेल मंत्रालय के साथ डीआरएम दानापुर एवं जीएम हाजीपुर को बार-बार स्मार पत्र देने के बावजूद भी ट्रेनों का ठहराव आज तक नहीं हो सका. जिससे कि चौसा ही नहीं बल्कि करीब 400 गांव से अधिक के लोगों को आने-जाने का साधन था.
- रेलवे यात्री संघर्ष समिति के बैनर तले चौसा में शुरू हुआ है आमरण अनशन
- समिति के अध्यक्ष सह पूर्व जिला पार्षद डॉ मनोज कुमार यादव कर रहे हैं नेतृत्व
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : रेलवे यात्री संघर्ष समिति के बैनर तले समिति के अध्यक्ष तथा पूर्व जिला पार्षद डॉ मनोज कुमार यादव की अध्यक्षता में चौसा रेलवे स्टेशन परिसर में आमरण अनशन शुरु किया गया. जिसमें डॉ मनोज, भरत पांडेय, शिव शंकर राम, विजय राम, मुख्तार खान, राम आशीष सिंह कुशवाहा, शमसुद्दीन मियां उर्फ भुवर साह, राम ईश्वर चौहान, अवधेश कुशवाहा, राधेश्याम चौधरी, बेनी माधव राजभर व गोविंद खरवार शामिल हैं. कार्यक्रम का संचालन रामाशीष कुशवाहा ने किया. इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए डॉ मनोज कुमार यादव ने कहा कि कोरोना काल में बंद फरक्का एक्सप्रेस एवं पटना कुर्ला एक्सप्रेस का ठहराव पूर्ववत की करने अपर इंडिया एक्सप्रेस एवं हावड़ा अमृतसर एक्सप्रेस के जगह पर मगध एक्सप्रेस का ठहराव, विभूति एक्सप्रेस एवं हावड़ा अमृतसर मेल का ठहराव करने की मांग को लेकर उनके द्वारा आमरण अनशन शुरु किया गया है.
डॉ यादव ने कहा कि इसके अतिरिक्त महिला तथा पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रतीक्षालय की व्यवस्था, स्टेशन पर आरक्षण केंद्र की व्यवस्था के साथ स्टेशन के पश्चिम छोर पर यात्री शेड, शौचालय की व्यवस्था, ऊपरगामी पुल का निर्माण तत्काल कराया जाए. पटना से तीसरी लाइन का विस्तारीकरण के साथ पवनी कमरपुर हाल्ट पर यात्रियों की सुविधा जैसे प्लेटफॉर्म टिकट काउंटर ऊपरगामी पूल पानी एवं शौचालय एवं अन्य सुविधाओं को भी दुरुस्त किया जाए.
उन्होंने कहा कि चौसा में 1320 मेगा वाट का विद्युत थर्मल पावर बन रहा है, जहां से हजारों यात्रियों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस स्टेशन पर तीन जिला के यात्री कैमूर, रोहतास और बक्सर से ट्रेन पकड़ने आते हैं. लेकिन करोना कॉल से बंद पड़ी गाड़ियों का ठहराव आज तक नहीं हो सका. यह जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण है. रेल मंत्री एवं रेल मंत्रालय के साथ डीआरएम दानापुर एवं जीएम हाजीपुर को बार-बार स्मार पत्र देने के बावजूद भी ट्रेनों का ठहराव आज तक नहीं हो सका. जिससे कि चौसा ही नहीं बल्कि करीब 400 गांव से अधिक के लोगों को आने-जाने का साधन था. जबकि चौसा ऐतिहासिक धरती है. चौसा स्टेशन से जनप्रतिनिधियों एवं भारत सरकार के रेल मंत्रालय तक को कोई मतलब नहीं है. जिस क्षेत्र से रेल मंत्री बनते हैं सिर्फ वही का विकास करना चाहते हैं तो भारत सरकार के रेल मंत्री बनने का क्या मतलब है?
आमरण अनशन में इंजीनियर नितेश कुमार, बसंती देवी, छोटू लाल चौहान, कन्हैया प्रसाद मालाकार, भरत पांडेय, हरिहर मेहरा, इम्तियाज रजक, दिलीप राम, कन्हैया गुप्ता डेहरी पंचायत के मुखिया कल्लू अंसारी,श् यामलाल प्रसाद, डोमा राम, ठाकुर प्रसाद कानू, बलिराम भगत, चितरंजन कुमार, अरविंद कुमार, शमीम शाह, राधेश्याम चौधर, जय राम चौधरी, जगदंबा वैद्य, राम प्रवेश राजभर, गोविंद खरवार, संतोष कुमार सिंह, बिहारी प्रसाद, सत्येंद्र सिंह, विजय राम, सुग्रीव ठाकुर, गोविंद खरवार, रामाशीष सिंह कैलाश खरवार, मुन्ना खरवार, जुगनू मालाकार, प्रदीप कुशवाहा, राम भजन राम, भीम यादव, चंद्रमा राम, मुन्ना खरवार, संतोष चौधरी, बुद्धा माली, समसुदीन मियां, भुवर राम ईश्वर चौहान, सुनील मालाकार अधिवक्ता, शिव शंकर राम, अवधेश सिंह कुशवाहा, विजय राम, कृष्णा वर्मा, श्रीराम यादव उपस्थित रहे.
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