जो मनोयोग से नहीं करता भागवत कथा का श्रवण उसका कल्याण असंभव : इंद्रेश उपाध्याय

जो कथा पूरे मनोयोग से नहीं सुन सकता उसका कल्याण असंभव है.श्री उपाध्याय ने कहा कि भागवत कथा मनुष्य को परमात्मा से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है. श्रीमद्भागवत की कथा ही वह माध्यम है. जिससे जीवात्मा परमात्मा से मिलन के मार्ग पर चल पड़ता है.






- सिय-पिय मिलन महोत्सव जारी, श्रीमद् भागवत कथा सुनने पहुंच रहे श्रद्धालु
- कथा व्यास ने कहा - भगवान से सीधे जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है भागवत कथा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सिय-पिय मिलन महोत्सव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय ने श्रीमद्भागवत के श्रवण के महत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि अच्छे श्रोता के चार लक्षण होते हैं. वाचाल व्यक्ति अच्छा श्रोता नहीं हो सकता. उसे श्रवण में रस नहीं आता वह तथा पूरे मनोयोग से नहीं सुन पाएगा. जो कथा पूरे मनोयोग से नहीं सुन सकता उसका कल्याण असंभव है.श्री उपाध्याय ने कहा कि भागवत कथा मनुष्य को परमात्मा से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है. श्रीमद्भागवत की कथा ही वह माध्यम है. जिससे जीवात्मा परमात्मा से मिलन के मार्ग पर चल पड़ता है.

उधर सिय-पिय मिलन महोत्सव के आयोजन को लेकर नगर वासियों में खासा उत्साह है. 26 नवंबर को महोत्सव में सरसंघचालक मोहन भागवत के आने की सूचना है. इसके अतिरिक्त देश भर से साधु संतों का जमावड़ा भी बक्सर में लग रहा है. श्री राम की शिक्षा स्थली बक्सर में भगवान श्री राम की लीलाएं लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं. जो लोग दूर-दराज से बक्सर पहुंचे हैं. वह इस धरा धाम की पावन मिट्टी को सिर माथे लगाकर अपने जीवन को धन्य समझ रहे हैं.











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