उन्होंने कहा कि उसे जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है, साथ ही साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी घटती है. ऐसे में फसल अवशेष का कैसे दोबारा उपयोग किया जाए इस पर कई तरह की योजनाएं हैं, जिसका अनुपालन करते हुए किसान पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपनी समृद्धि के लिए भी कार्य कर सकते हैं.
- चौसा प्रखंड के खखड़ही गांव में आयोजित हुआ था कार्यक्रम
- राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों को किया प्रशिक्षित
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : फसल अवशेष प्रबंधन तथा फसल अवशेष पर आधारित उद्योगों एवं जिले मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय से पहुंचे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने किसानों को प्रशिक्षित किया. इस दौरान किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उसे जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है, साथ ही साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी घटती है. ऐसे में फसल अवशेष का कैसे दोबारा उपयोग किया जाए इस पर कई तरह की योजनाएं हैं, जिसका अनुपालन करते हुए किसान पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपनी समृद्धि के लिए भी कार्य कर सकते हैं.
इसके अतिरिक्त उन्होंने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी किसानों को जागरूक किया और कहा कि बेहद कम पूंजी और छोटे से जगह में मशरूम का उत्पादन कर अधिकाधिक धनार्जन किया जा सकता है. जिले के चौसा प्रखंड के खखड़ही गांव में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान नावानगर एटीएम मनोज कुमार चौधरी, आशुतोष पांडेय, मशरूम प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके किसान रवींद्रनाथ चौधरी, विनोद सिंह, रमन पटेल, सुनील पटेल, छोटेलाल पटेल, शिवम पटेल, पंकज पटेल, संदीप पटेल आदि मौजूद रहे.
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