प्रिया-प्रियतम महोत्सव : वामनावतार-राजा बलि कथा में सुनाया अहंकार के अंत का प्रसंग ..

कहा कि जब तक जीव के पास अहं अर्थात अपने शरीर का अहंकार एवं मम अर्थात यह मेरा है यह दो भावना रहती है वह ब्रह्म बंधन में नहीं आता. कथा व्यास ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का भव्य वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था. उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं. 





- नया बाजार में सुबह से ही गूंज रहा है भगवान राम का नाम
- कथा व्यास वृंदावन धाम के उमेश भाई ओझा कह रहे कथा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पूज्य नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज के पावन स्मृति में चल रहे 15 वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के चतुर्थ दिन भी श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न हुए. आश्रम के परिकरो के द्वारा प्रातः काल में श्री रामचरितमानस जी का नवाह्न पारायण पाठ एवं दोपहर में श्री भक्तमाल मूल पाठ का सामूहिक गायन किया गया.

महोत्सव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन की कथा में प्रख्यात कथावाचक श्री वृंदावन धाम के उमेश भाई ओझा ने वामनावतार - बलि चरित्र एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई. कथा व्यास ने कहा कि भागवत कथा सुनना और भगवान को अपने मन में बसाने से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आता है. भगवान हमेशा अपने भक्त को पाना चाहता है. जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है, उतना ही अधूरा भगवान भी भक्त के बिना है. भगवान ज्ञानी को नही अपितु भक्त को दर्शन देते हैं और सच्चे मन से ही भगवान प्राप्त होते हैं. 


कथा व्यास ने वामनावतार की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा बलि को यह अभिमान था कि उसके बराबर सामर्थ्यवान इस संसार में कोई नहीं है. भगवान विष्णु सिद्धाश्रम बक्सर की धरती पर महर्षि कश्यप एवं माता अदिति के पुत्र के रूप में राजा बलि का अभिमान चूर करने के लिए वामन रूप में अवतरित हुए. वामन रूप में भगवान भिक्षा मांगने राजा बलि के पास पहुंच गए. अभिमान से चूर राजा ने वामन को उसकी इच्छानुसार दक्षिणा देने का वचन दिया. वामन रूपी भगवान ने राजा से दान में तीन पग भूमि मांगी. राजा वामन का छोटा स्वरूप देख हंसा और तीन पग धरती नापने को कहा इसके बाद भगवान ने विराट रूप धारण कर एक पग में धरती-आकाश दूसरे पग में पाताल नाप लिया और राजा से अपना तीसरा पग रखने के लिए स्थान मांगा. प्रभु का विराट रूप देख राजा का घमंड टूट गया और वह दोनों हाथ जोड़कर प्रभु के आगे नतमस्तक होकर बैठ गया और तीसरा पग अपने सर पर रखने की प्रार्थना की.

कथा व्यास ने कहा कि जब तक जीव के पास अहं अर्थात अपने शरीर का अहंकार एवं मम अर्थात यह मेरा है यह दो भावना रहती है वह ब्रह्म बंधन में नहीं आता. कथा व्यास ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का भव्य वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था. उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है,तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं. 

श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में मामाजी महाराज की पुण्य स्मृति में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को सुनकर भक्त भावविभोर हो गए. कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान विष्णु को कृष्ण के रूप में अवतरित होना पड़ा. सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था. भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं. भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए. उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण की लीला मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है.










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